"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
"हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्
तत् त्वं पूषन अपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये"
अर्थात 'आदित्यमंडलस्थ ब्रम्हा का मुख ज्योतिर्गमय पात्र से ढंका हुआ है ! हे पूषन ! मुझ सत्यधर्मा को आत्मा की उपलब्धि कराने के लिए तू उसे उघाड़ दे !'.........यजुर्वेद ('ईशावास्योपनिषद' पृष्ठ संख्या ४१, श्लोक संख्या १५)