"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
आमतौर पर पतंग को मनोरंजन की दृष्टि से ही देखा जाता है कारण कि करीब -२ पूरे भारतवर्ष में बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री, पुरुष चाहे कोई भी क्यूं न हों पतंग को लेकर एक बात आम है कि, जब खाली समय हो तभी पतंग उड़ाई जाती है परन्तु कहीं -२ पतंगबाज़ी करने वाले लोग धन की बाजी तक लगाते देखे गए हैं जोकि उचित नहीं ! हमारे यहां मकरसंक्रांति के दिन 'पतंग' उड़ाने की परम्परा है जो निश्चित तौर पर 'मनोरंजन' को ही परिभाषित करता है परन्तु क्या कुछ ऐसा भी है पतंग में जिसे सीखने की दृष्टि से देखा जाना चाहिए था और जो अभी तक अछूता रह गया है ! मेरा यकीन मानिए, सीखने की दृष्टि से जब आप किसी पतंग को देखेंगे तो पाएंगे कि बहुत कुछ सीखने को मिल गया है ! आज मैंने 'पतंग' को आधार बनाकर कुछ लिखने का प्रयत्न किया है ! आशा है मेरा यह छोटा सा प्रयास आपको अवश्य 'पसंद' आएगा ! आइए 'पतंग' पर कुछ जरूरी बातें हो जाए....