"मैं राष्ट्रभक्त हूं और आजीवन राष्ट्र की सेवा करता रहूंगा !" ---किरण कुमार पाण्डेय
Book Summary
ज्यादा कुछ न लिखकर मैं केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि, बहकता 'आज' भटकता 'कल' जिसमें आज से तात्पर्य हम सभी से है जो वर्तमान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं ! एक मां, पिता, शिक्षक एवं प्रौढ़ की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह स्वयं को भटकने से रोकें जिससे भविष्य का प्रतिनिधित्व करने वाला हमारे देश का युवा वर्ग किसी भी तरह से भटकने न पाए अन्यथा आने वाली पीढ़ियां हमें कभी क्षमा नहीं कर सकेंगी ! हम स्वयं अपने और आने वाली पीढ़ियों के पतन के जिम्मेदार होंगे कोई और नहीं !