सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव "अदम्य" '9वनिधि' संस्थापकl - (20 March 2024)बहुत सुन्दर रचना दीदी 👌🏻👌🏻 एक समय था हमारे आंगन में भी गौरैया के घोंसले हुए करते थे और रोज़ उनकी चहचहाहट से आँख खुला करती थी। अब न तो आँगन बचा है और न ही गौरैया का वास।
विमल गायकवाड़ - (21 March 2022)प्यारी रुचा बहुत प्यारी कविता लिखी तुमने प्यारी सी गोरिया को तो पता भी नहीं होगा कि दुनिया में उसके लिए गीत गाए जा रहे हैं