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पाण्डेय जी और फुरसत के लड्डू

पांडेय जी के एक दोस्त है।नाम अट्टू लाल समझ लो।पांडेय जी ने कहा कि अट्टू शादी कर लो।समय से निबट जाओ,ठीक रहेगा।अट्टू गुस्सा हो गया।कहने लगा कि आप मुझे निबटाना चाहते हो।आपकी इतनी जुर्रत!
पांडेय जी ने कहा-प्यारे भाई।इसमें नाराज होने की बात कहां! मैंने तो इतना कहा कि शादी हो जाएगी तो आदमी बन जाओगे।अट्टू ने कहा कि इसका मतलब मैं आदमी भी नहीं हूँ।पता नहीं क्यों आप मेरे पीछे हाथ धो कर पड़े है।पांडेय जी ने कहा कि एक बात बताओ कि मैंने कब हाथ धोएं!
कोई सबूत है क्या!
बताओ, बताओ।पांडेय जी को अट्टू नर कहा कि इसी अंदाज में आप मेरी फिरकी ले रहे हों।
खेर दुआ सलाम के बाद बातचीत खत्म हुई।

घर आकर विलायती राम पांडेय सोचने लगे कि जो लड़के-लड़कियां समय से शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहते।वे सोसाइटी का कितना बड़ा नुकसान कर रहे है।कितना बड़ा नुकसान बाजार का कर रहे है।केटरर का कर रहे है।दर्जी,हलवाई और बेंड बाजे का कर रहे हैं।चिलमन ने कहा कि अगला नहीं करवा रहा शादी तो आपको क्या पड़ी है! आप तैयारी कीजिये,दफ्तर की।आज शनिवार नहीं,सोमवार है।कहीं देर हुई तो हो जाएगा एक दिन की छुट्टी का बंटाधार!
समझे न! या भाभी को बतलाऊँ!
पांडेय जी नहीं चाहते थे कि सुबह सुबह सीन क्रिएट हो।हो गए तैयार! मजदूर आदमी कर भी क्या सकता है।तैयार होने के सिवाय।पर सोचते रहे कि अट्टू की शादी वक्त पर हो जाती तो गली में उसके भी चमगादड़ सरीखे बच्चे खेल रहे होते।वैसे पांडेय जी को हो-हल्ला पसन्द नहीं था।
लेकिन मजमे का अपना मजा है।इस बात को पांडेय जी बखूबी जानते है।

जयपुर से रहमान भाई का फोन आ गया।पांडेय जी,नमस्कार!
नमस्कार,रहमान भाई।कैसे है आप!
हमें लगा कि आप भी हिंदी सेवा के लिए विदेश प्रस्थान के लिए जुगाड़ भिड़ा रहे होंगे!
रहमान भाई ने कहा कि हम ठहरे,सीधे साधे लोग,आजकल जुगाड़ उन्हीं का लगता है,जो सेटिंग पुराण के क्षेत्र में पुराने जीव हों।जे बात आपने ठीक कही।वैसे भी रहमान भाई जो लोग ठीक से वर्तनी तक शुद्ध नहीं लिख सकते,वे गए है।कुछ अपने खर्चे से और कुछ जुगाड़ तंत्र की अनुकम्पा से।पांडेय जी,ये तो आरम्भ से होता आया है।हम तो यहीं ठीक है।जो गए है,वे कौन सा हिंदी को निहाल कर आयेंगे!
ऐसा नहीं है कुछ ने तो निहाल करना शुरू कर दिया है।वहां के मौसम,होटल और स्टीमर की सैर करते हुए चित्र अपलोड होने शुरू कर दिए है।बाई दवे! दिल्ली कैसे आना हुआ!
पांडेय जी कुछ व्यक्तिगत काम है।ये बताइए कि रामखेलावन जी फोन नहीं उठा रहे!
क्या कारण हो सकता है!
भाई रहमान जी,आज शनिवार है।सरकारी अवकाश है।ऐसे में कोई अधिकारी कैसे फोन उठा सकता है! वैसे वे ग्यारह तक उठ जाते है।आप वाट्सप पर संदेश दे दीजिए।कोई विशेष कार्य हो तो बताइए।पांडेय जी ने विन्रम भाव से कहा।नहीं,नहीं।ऐसी कोई बात नहीं।
कल टेलीविजन बता रहा था पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी ग्वालियर के बहादुरा के लड्डू पसन्द थे और यही लड्डू अपने विलायती राम पांडेय जी को भी।
खाने पीने में पांडेय जी का कोई सानी नहीं।क्या मसाले,क्या तड़का और क्या लांग,सब बता देते है।कि किस सब्जी में कितनी मात्रा में मसाला मिलाया हुआ है।ये सब बातें वही जानता है जो खाने पीने का शौकीन रहा हो और विरले किसिम का बन्दा हो।

छुट्टी का दिन,आखिर पकड़े गए अपने पांडेय जी।मिसेज ने प्लेट में पांच-छह अनार बड़े साइज के पकड़ा दिए और कहा कि सावधानी से दाने निकालिए, ये खाना मत बिल्कुल भी।ये चीकू के लिए है।पांडेय जी भी उस्ताद है,अनार के दाने निकालने के चक्कर में पांडेय जी बीच-बीच में टेस्ट करते रहे।पत्नी बीच में आ कर देख जाती कि कहीं खा तो नहीं रहे।उल्टा ही हुआ, चोरी की आशंका थी,वही हुआ।आप के लिए नहीं है,चीकू के लिए समझे न!
पांडेय जी ने कहा कि देवी लग रहा है थोड़ा ठीक लग रही हो,ऐसा करो।अपनी बहन के यहाँ घूम आओ।मन ठीक हो जाएगा,क्यों मेरे जाने से बड़े खुश हो रहे हों।देखो मैडम बात यह है कि मैं भी आजादी का मतलब खोज लूँगा।हाँ पता है खाओगे पीयोगे और साउथ की फिल्में देखोगे!
अच्छा,पापा जी को नाश्ता करा दिया है,मैं चली उबेर शेयर से!
अरे! मैं छोड़ आऊं! मेट्रो से चली जाओ!
नहीं,प्रियतम! रहने दो।कैब ही सही है।जैसी इच्छा देवी रामप्यारी की।रामप्यारी मुस्कराती हुई चली गई।
यह कहती गई कि दो दिन आपके लिए आजादी स्वीकृत की गई, मैं चली, मैं चली अपने मायके की गली!
पुलाव बना दिया जानेमन,घबराने का नहीं।माइक्रोबेव में गर्म कर लेना।बाय,बाय।सायोनारो पांडेय जी ने भी कर दिया।खुशियां ऐसे ही बनी रहे तो कितना मजेदार होता है।
आज विलायती राम पांडेय बड़े खुश है।इतनी देर में उन्होंने दो बब्बू गोशे उदरस्थ कर लिए थे।उनका कहना है कि जीवन में खाते पीने का नाम ही जिंदगी है।
आज पांडेय जी ने घर पर होते हुए अपनी गाड़ी घर के मुख्य द्वार पर लगा दी।उनका कहना है कि गाड़ी अंदर रहेगी और कोई अनजान आदमी गाड़ी गेट पर खड़ा कर गया तो आप गए काम से।
रामखेलावन ने कहा-पांडेय जी एक बात बताइए, लोग शादी क्यों करते है!
क्यों रामखेलावन जी!
यह सवाल क्या सिविल सेवा की परीक्षा में आने वाला है!
नहीं,पांडेय जी।मात्र जिज्ञासा है!
इस तरह की जिज्ञासा काहे इस अबोध मन में आई!
और आप पूछ रहे है,आपकी शादी को तो लगता है कि बीस साल हो गए!
लेकिन आपकी कविताओं में जो प्रेम भाव दिखाई दे रहा है,लगता है कि किसी से प्रेम हुआ है ताजा-ताजा।जिसकी लपटें आपको रचनाओं के केन्द्र पक्ष में ध्वनित होती दिख रही है! मैं सही कह रहा हूँ न!
रामखेलावन अपना सवाल जो पूछा था,भूल गए।कहते हुए कि पांडेय जी कुछ याद आ गया।जल्द मिलता हूँ।पांडेय जी को पता है कि ये गए अब एक हफ्ते के लिए।
इधर एक कहानीकार ने फेसबुक पर लिखा कि हिंदी सम्मेलन के नाम पर तमाशा हो रहा है!
चिलमन ने पूछ लिया कि आप का नाम नहीं है न!
इसलिए वह तमाशा हो गया।यदि नाम हो जाता तो आप ही सबसे पहले अपनी सेल्फी लगाते।लानत है आपको आपकी सोच और आपके नजरिये को।पांडेय जी सोचने लगे कि कितना तेजी से बदलाव आता दिख रहा है लोगों की सोच में!

चीकू स्कूल से दोपहर में लौटेगा।पांडेय जी घर में।गा रहे है कि-
अपनी आजादी को हरगिज भुला सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन
सर झुका सकते नहीं
बिटिया देख रही है कि पापा भी न!

टेलीविजन भी कमाल के है।एक म्यूजिकल प्रोग्राम में एक गायिका ने लावणी गीत सुनाया तो म्यूजिक एक्सपर्ट ने कहा-ग़जब,इसमें धमाल है,फोड़ू आवाज है,आग लगा दी बॉस।
पांडेय जी सोचने लगे कि यह दुनिया अलग किसिम की है।कहाँ हिंदी लेखक और उनके संगठन!
सब एक दूसरे की टांग खिंचाई में लगे रहते है।सब आगे बढ़ना चाहते है।चाहे किसी भी शर्त पर,किसी भी कीमत पर।हद और मलानत के दौर में कब कौन किस को गिरा दें,यह कहना मुनासिब है।
कई बार लगता है कि नकली और असली में फर्क क्या है!
चिलमन ने कहा-जैसे जो रह गए और जो चले गए।
आज बड़े दिन लल्लू ने कहा-सोच रहा हूँ,कि दांतों का काम करवा लूँ।पांडेय जी ने और डरा दिया।करवा को भैया! कहीं देर हो गई और पस पड़ गई तो बड़ा संकट हो जाएगा।जल्द इसे करवा लो,कहीं देर और विकट मामला न खड़ा हो जाएं।
तभी फोन बजा कि असन्तुष्ट कुमार ने कहा कि पांडेय जी कुछ उपाय बताओ-
पांडेय जी ने पूछ लिया।
हुआ क्या!
असन्तुष्ट कुमार-आज सुबह से पेट साफ नहीं हुआ।मरोड़ उठ रहे है,लगता है कि पाखाना होगा,पर होता नहीं।बड़ी तकलीफ में हूँ।
पांडेय-हम्म!, आप कुछ कीजिये, सैर शुरू करें,गरम पानी पीजिए,कुछ देर में ठीक हो जाएगा।
असन्तुष्ट कुमार-बहुत परेशान है,कुछ उपाय बताइए।
पांडेय-जल्द किसी डॉक्टर को दिखा दीजिये,कहीं दिक्कत न हों!
पांडेय जी सोचने लगे कि एक तरफ असन्तुष्ट कुमार है और दूसरी तरफ विश्व हिंदी सम्मेलन में नहीं जा पाए विरोधी पक्ष है।किसी की सुने और किस की न सुने।कई तो वाकई में किसी श्रेणी में नहीं आते,पर क्या कर लीजिएगा!
महान लोगों के सामने कितना ही चिल्लाते रहे,उनके कानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
लोग भी ऐसे है कि लगे है सीधे लाइव।धड़ाधड़ सेल्फी और सेल्फिश लोगों से भर गया फेसबुक।लगता है ये पकाते रहेंगे अभी एक हफ्ता और!
तभी असन्तुष्ट कुमार का वाट्सप आया।अब आराम है,पांडेय जी।गरम पानी ने असर कर दिया।शुक्रिया।
पांडेय जी कोई हकीम नहीं है,पर अनुभवी है,यात्राएं करते है और कई तरह के लोचों से दो-चार होना पड़ता है,सो सीख लिया।
पांडेय जी टेलीविजन से चिपके हुए है।
चिपकने के सीन भी कई तरह के होते है।उम्र मैटर करती है।ज्यादा खाओगे तो दांत और मसूड़ों में दर्द और तकलीफ शुरू हो जाएगी।लेकिन जो स्वाद की परिभाषा को जान गया,समझ गया वह तर गया।
आज बाजार में शांति है।अटल बिहारी वाजपेयी के जाने का गम अभी तक दुकानदार मना रहे है।वाकई बड़े राजनेता थे।इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की अंतिम यात्रा के बाद यह एक बड़ी शख्शियत थीं।
पांडेय जी घड़ी दो घड़ी में टहल आते थे।मन में चल रहा था,हिलते डुलते रहना चाहिए,इससे बॉडी में हलचल रहती है।और घूमने घामने से मन प्रसन्न भी रहता है।टेलीविजन पर नर्तकी डांस कर रही है।बैले डांस को देख कर पांडेय जी सोचने लगे कि यदि सब सीख जाएं डांस तो किसी को भी पतले होने के लिए किसी जिम में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
रामप्यारी पुलाव बना कर गई थीं।पुलाव वाकई स्वादिस्ट,उम्दा और लजीज था।एक बार किसी ने पूछ लिया था कि पांडेय जी आप क्या बना लेते हैं!
पांडेय जी ने जवाब दिया-अपने को कुछ बनाना नहीं आता।अंडे उबालना,आलू उबले हुए हो तो उसके छिलके उतार देना।गाजर छील देना,यानी कद्दूकस कर देना।जिसने सुना तो कहा आप तो बड़े बड़े काम कर लेते है,इसे देखते हुए तो आपको भारत रत्न दिया जाना चाहिए।पांडेय जी ने उसे कहा-रहन दें,रहन दें।इतने बड़े सम्मान के लिए मुझे नामित करने की आवश्यकता नहीं।ये दुनिया भी कमाल की है,जिसे देखो चढ़ाने पर लगे रहते है।पर पांडेय जी की खासियत है कि कभी चढ़ते नहीं।
आज शाम को एक भूत ने रामखेलावन को पकड़ लिया।भूत कोई सुंदर लड़की के वेश में था।लड़की ने पूछा कि आप मुझे प्रेम करते हैं!
रामखेलावन को नहीं पता था कि इस अंदर कोई आत्मा है,वह तो एटीएम समझ रहा था।रामखेलावन उस पर फिदा हो गया।जैसा कि इंसानी फितरत है,वे उसे नहीं छोड़ सकते।भूत ने कहा-आप मुझ पर कविताएं लिख सकते है!
रामखेलावन ने कहा-कविताएं क्या मैं तो खंड काव्य भी रच सकता हूँ,आपकी पर्सनैलिटी है ही ग़जब की,लावण्य और आकर्षित करता आपका भव्य रूप!
भूत के रूप में सोच रही थी वह कन्या! कि कितने तुच्छ है आदमी!
शादी शुदा लोग कैसे फिसल जाते है! सुंदर लड़कियों को देख कर!
जबकि कोई अविवाहित फिसलें तो बात समझ आती हैं!
बहरहाल आजकल जब रामखेलावन के रंग ढंग बदले हुए नजर आएं।शक तो पांडेय जी को भी हुआ।पांडेय जी ने चिलमन के साथ स्कूटी सवार मधुबाला की ड्यूटी लगाई कि जरा पता करो कि इसके रंग ढंग क्यों बदले हुए है!
जो रिपोर्ट सामने आई वह हैरान कर देने वाली थीं कि रामखेलावन आजकल एक सुंदर सी लड़की के साथ में रहता है।प्रेस क्लब के सभी मेम्बर्स की हालत ऐसी थी कि सब देखते रह जाते।मधुबाला को तो यह लगता था कि रामखेलावन के हाथ लगी कैसे!
पहले तो वह मधुबाला की चाहत लिस्ट में था,पर अब उसने ध्यान ही पलट दिया।सत्ता कब विपक्ष की भूमिका में आ जाती है,पता ही नहीं चलता।
रामप्यारी को पांडेय जी ने बताया कि रामखेलावन के संग कोई सुंदर सी लड़की रहती है,इसलिए वह नहीं आ रहा।रामप्यारी ने कहा-आप नाहक चिंता करते है,कोई जान पहचान वाली रही होंगी!
अच्छा! पता करती हूँ,रामप्यारी ने मिसेज रामखेलावन को फोन लगाया।उसको भी हैरानी हुई।कि दफ्तर से शाम 7 बजे तक आ जाते थे,पर आजकल दस बजे आते है।शक तो मुझे भी हो रहा है।रामप्यारी ने कहा कि पांडेय जी को भी चिंता हो रही है,कुछ ऐसा करो कि कही से उस लड़की के कपड़े का कोई टुकड़ा मिल जाएं तो कहानी में ट्वीस्ट आएगा,इसका इंतजाम किया जाए।
पांडेय जी ने चिलमन की सेवाएं ली।चिलमन ने वेटर से सेटिंग की और उस सुंदरी के दुप्पटे का एक टुकड़ा कैंची से बिना पते लगे काट कर चिलमन को दे दिया।चिलमन में पांडेय जी को।पांडेय जी ने रामप्यारी को दे दिया।इलाके के एक तांत्रिक का बड़ा नाम था।उसने आंखें बंद की और मन्त्र मन ही मन में बड़बड़ाया कि ओम धाम,तीन बाम, शाम लाभ,ढंग बदल,ढंग बदल।ओम नाम शाम लाभ।
तभी आंखें खोलते हुए बाबाजी ने कहा कि इससे सावधान रहने की जरूरत है।यह कोई भूत प्रेत है।इससे बचाव करना होगा,नहीं तो रामखेलावन इसके चक्कर में कहीं अपने को तबाह न कर लें।
किसी और पहुंचे हुए तांत्रिक की मदद से रामखेलावन के पीछे लगी वह सुंदर लड़की कहीं गायब हो गई।
रामखेलावन को प्रेस क्लब कुछ अधूरा अधूरा लगने लगा।वे शाम को अपने समय पर घर लौटने लगे।मिसेज रामखेलावन ने फोन कर रामप्यारी का आभार प्रकट किया।मिसेज रामप्यारी ने कहा:कि ये तो मेरा फर्ज है,अब दुआ करो कि कोई बुरी आत्मा न लिपटा लिपटी करें,तुम ही कुछ ऐसा करो कि किसी और की जरूरत ही न पड़ें!
क्या दीदी! आप भी न!
पर आपकी बात पर गौर करती हूँ।
ओके-ओके
गुड़ नाइट।कभी आइएगा।अच्छा लगेगा,सबसे मिलकर। मधुबाला को भी खुशी हुई कि चलो रामखेलावन जी किसी बुरी आत्मा से तो बचें।अब मुझ से बच कर कहाँ जाएंगे!
ये दुनिया भी न कहाँ से कहाँ सोच लेती हैं!
टेलीविजन में एक एक्ट्रेस बता रही थीं कि आजकल तो लड़कियां शादी से पहले ही सब यू नो! समझ रही हो न!
पांडेय जी ने टेलीविजन बन्द किया।कहने लगे कि इनका बस चले तो हनीमून भी लाइव हो जाएं।हद्द है इनकी।क्या जमाना आ गया है।वह दिन दूर नहीं जब बहुत कुछ लाइव हो जाएगा।
चीकू आ गया।पांडेय जी ने पूछा सबको याद कर लिया,मम्मी को नहीं किया!
पांडेय जी ने कहा।कहने लगा,पता है मामा के यहां गई है।पांडेय जी हैरान! क्या बात है!
स्टार गोल्ड पर डोली की डोली चल रही है।एक ही लड़की कई शादी करके सबका सामान ले कर भाग जाती है।उधर फेसबुक बता रहा था कि महान लोग ऐसे भी पहुंचे हुये है कि बताते हुए भी मन नहीं कर रहा!
दुहाई जो दूसरे लोग कर रहे है,लगने लगा है कि ठीक ही कर रहे हैं।विश्व हिंदी सम्मेलन का भूत है जो कइयों को चिपटा हुआ है,लगता है आसानी से वह पिंड छोड़ने वाला नहीं।
जब तक रहेंगी माथे पर बिंदी
तब तक रहेगी विश्व सम्मेलनों में हिंदी
पापा,आप फेसबुक बन्द करो,इससे कुछ होने वाला नहीं।
पहली बात समझ लो।
आप को सेटिंग नहीं आती।यह बड़ा करप्ट जमाना है।नीचे से लेकर ऊपर तक सब मिले हुए है।
देखो न!
कैसे कैसे लेखकटाइप चीज गए है,जिन्हें ठीक से बोलना तक नहीं आता।मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि दस परसेंट ही लोग लेवल के है,जो गए है।बाकी सब भर्ती के।
जाने दें,बेटा।अपन स्वदेश में ठीक है।वैसे भी जहाजों का भरोसा नहीं।
ठीक है,ठीक है।
चीकू थोड़ा रेस्ट कर लें।थक गया होगा,बच्चा।ओके, पापा।

पांडेय जी को किसी का फोन आया कि शाम को मिलिए।पांडेय जी का मन नहीं था,पर फिर भी मन बनाया।बरामदे में आ कर देखते है कि बाहर तो बारिश है,वोह भी झमा-झम! पत्नी होती घर में,तो मना लेते कि देवी अन्नपूर्णा तुम्हीं हो! पर जबकि वह घर पर नहीं है तो उन्होंने एक बड़ा कप लिया और पूरे एक मिनट माइक्रोबेव में गरम होने दिया।जब हो गया तो एक प्लेट में रखा और कटोरी में नमकीन रखी और बारिश के मूड को भांपने के लिए बरामदा बढ़िया था।बारिश निबट रही थीं,जैसे पांडेय जी ने प्लेट में रखा गरम पानी और नमकीन उदरस्थ कर ली थीं,शाम को कहीं जाने से पहले गरम पानी का सेवन बेहद जरूरी नहीं अनिवार्य भी है,ये पांडेय जी अच्छे से समझ गए थे।उनका कहना भी है कि जो जीवन है वह बिना तरल पदार्थों के बिना अधूरा है जैसे एक अविवाहित लड़की शादी के बिना!
या एक लेखक जब तक अपनी प्रकाशित कृति के साथ तस्वीर नहीं खिंचवा लेता,उसका लेखक होना प्रमाणिक कहाँ माना जाता है।
लेखक होना,कृति पर सम्मति के लिए दौड़ धूप करना,फिर उसके लोकार्पण की चिंता में शुगर की तरह घुलना!
तब से लेकर कार्यक्रम तक लेखक की चिंता बनी रहती है।यदि उसने कार्यक्रम ठीक से करवाना हो तो उसके भी पैकेज है।
दिन में दो हजार
शाम में चार हजार
कॉकटेल है तो उसके लिए दस हजार
पत्रिकाओं में न्यूज देनी है तो उसके लिए अलग सेवा शुल्क
कौन से लेखकों को आमन्त्रित किया जाना है,यह भी आपकी श्रद्धा और पॉकेट पर निर्भर करता है।
लेखक होना और लेखक बनाना ये बड़ी टेडी खीर है!
आज तो हालात इतने विकट है कि हिंदी साहित्य की नैया को व्यापारियों और ज्योतिषों ने सम्भाल रखा है और हिंदी के बहाने उनकी रोजी रोटी चल रही हैं।
चलने दो भैया! आखिर सड़क पर भीख तो नहीं मांग रहे।कुछ करके दो पैसे कमा रहे है और साहित्य के नाम और पर्यटन भी करवा रहे है,अगर कुछ सेवा शुल्क खा-कमा लेंगे तो करने दो।इतना तो उनका भी बनता है।असन्तुष्ट कुमार ने चाय सुबकते हुए कहा।चाय एक ऐसा पेय है,जिसे केन्द्र में रख कर घण्टों चर्चाएं की जा सकती है।
जो चाय मेल कराती है,वह मधुशाला भी नहीं कराती,पर मधुबाला करा सकती है।जब-जब मधुबाला का नाम लिया जाता है तो कइयों की आंखें चमक जाती है,अब ये पल खुशी के हों या आकर्षण के।इसकी न अपने को खबर है और न ही अनुसंधान करने का मन है।

टिप्पणी/समीक्षा


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