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पांडेय जी और उनके ख्याली पुलाव

कहते है न कि आदमी काम करते ही अच्छे लगते है वरना उनमें और स्त्रियों में समानता नहीं होती!
पांडेय जी सोचने के लिए मशहूर है।कई बार इतना अधिक सोच लेते है कि सर्विस प्रोवाईडर तक आत्मसमपर्ण तक की मुद्रा में आ जाते है कि भइया जी को कैसे समझाए!

आज पांडेय जी ने सोचा कि देश के पर्यावरण मंत्री जी को एक निवेदन भेजा जाएं कि देश के जितने भी उद्यान है जहां लैला-मजनू प्रेम की पींगे बढ़ाने आते है उनपर लगाम कसनी चाहिए।
ऐसा सोच उनके मन में आया।
अब उसी सोच के चलते पर्यावरण मंत्री जी ऑन लाइन अपने विलायती राम पांडेय जी से जुड़ चुके है।
उन्होंने कहा कि पांडेय जी आप आदमी बेहद शानदार हो।देश के सजग प्रहरी हो,आजके दौर में डूब कर लिखने वाले बचे ही कितने है!
उधर पांडेय जी फूले नहीं समा रहे कि देश के पर्यावरण मंत्री जी कितना कुछ पांडेय जी के बारे में जानकारी रखते है!
जबकि अंदर की बात तो यह है कि मंत्री जी के सहायक टीटू सिंह सोनुवालिया ने गूगल सर्च कर पांडेय जी का विवरण खोल दिया था।बीच-बीच में पांडेय जी के विवरण पर मंत्री जी निगाहें डाल लेते और पांडेय जी का बैलून फूला देते।

मंत्री जी ने फरमाया कि कहिये पांडेय जी!
आपके मन में इस तरह के देश हित कार्यक्रम के तहत विचार आया कैसे!

अब अपने पांडेय जी भी बटर के समंदर के किंग ठहरे।उन्होंने कहा कि आप आजकल बहुत अच्छा काम कर रहे है,लेकिन इस काम में एक संशोधन और कर दें तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।
मंत्री त्रिलोक सिंह गजपति ने कहा कि पांडेय जी पहेलियां मत सुलझाओ।जरा खुल कर आओ।मन की कहो।हमें भी अच्छा लगेगा।

पांडेय जी ने कहा कि क्या ऐसा सम्भव है!
कि जो भी इस तरह के पार्कों में एंट्री लें तो उनका आधार कार्ड स्वेप हो और उसकी जानकारी प्रवेश करने वाले लड़के या लड़की के पिता या माता के मोबाइल पर तुरन्त जाए कि अमुक नाम राशि का व्यक्ति इस समय इस पार्क में है।वह किस व्यक्तिगत योजना के तहत आया है!
इसकी छानबीन कर नैतिक कर्तव्य का पालन करें।
मंत्री जी ने कहा-पांडेय जी ,योजना तो अच्छी है!
पर इसका फायदा क्या होगा!
उस पर भी अपनी रोशनी डालें।आपका बड़ा भला होगा।

पांडेय जी ने कहा-
ऐसा है,सर।यदि इस तरह के संदेश के जरिये कितना पैसा सरकार का बचेगा!

वो कैसे! मंत्री जी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है,उन्होंने लघुशंका को भी रोक लिया था।
पूछने लगे।
पांडेय जी धरातल पर किसी भी विपक्षी सत्ता को सट्टे पर लेने के लिए तैयार बैठे थे।
उन्होंने कहा-सरजी,आप रोजगार भी देने में समर्थ है।आपके मन्त्रालय की वाहवाही होगी।हर प्रवेश द्वार पर कम्प्यूटर आपरेटर बैठेगा।वहीं से पार्क में आने व जाने वालों की एंट्री होगी और उसके संदेश भी उक्त प्रवेश व्यक्ति के परिजन को जाएंगे।
संदेश कुछ इस तरह का होगा।
मान्यवर,
कल्लू कालिया जी
आप के सुपुत्र श्री कैलास कालिया
आधार कार्ड संख्या
पता
सुबह लोधी गार्डन के द्वार संख्या चार से भीतर आये।किस प्रयोजन के तहत
विभाग को जानकारी नहीं
आने का समय प्रातः-10 बजे
प्रस्थान का समय-दोपहर तीन बजे

मंत्री जी की रुचि बढ़ती गईं।वे दौड़ कर कमरे में बने शौचालय का उपयोग तेजी से कर आएं।
हाँ,तो पांडेय जी आपके विचार तो देश हित में है।
आपका तो नागरिक अभिनन्दन होना चाहिए।

पांडेय जी ने कहा कि सरजी आपने मुझे सुना,मैं कृतज्ञ हुआ।इसी बहाने कितने अवैध गर्भपात रोकने में सहायता मिलेगी!

हैं! किस तरह! मंत्री जी ने मुलाकातियों को बैठने को कहा।पीए उनका निर्देश समझ गया।
पांडेय जी बोले-सरजी ये युवा पीढ़ी दरअसल भटक गई है।इनके सोचने समझने की शक्ति नहीं है।वे वहां प्रेम प्रसंग को बढ़ावा देने,एक दूसरे को गुमराह करने के लिए समर्पित है।

मंत्री जी के भीतर की सभी इकाइयां जाग्रत अवस्था में आ चुकी है।उन्होंने पांडेय जी को धन्यवाद कहा।
पीए को फौरन घण्टी दे कर बुलवा लिया।
कहा कि एक प्रेस मीट का प्लान करो।दोपहर तीन बजे।और हाँ,उस मीटिंग में आलू,पनीर और गोभी के पकौड़े लाल-हरि चटनी के साथ व्यवस्था करो।सभी मीडिया के लोग हो,प्रिंट व चैनल्स।

उधर मंत्री जी ने अपनी पत्नी कौशल्या से कहा कि सुनो!

आज मीटिंग है 3 बजे की।जरा जैकेट और कुर्ता प्रेस करवा दो।जी,करवा देती हूँ।भीतर के कक्ष से आवाज़ आई।

तीन बजे बैठक।इलाके के चुनिंदा मीडिया कर्मी।समाज सेवी जो मंत्री जी के खास गुलदस्ते है,उनको रहना ही था।
मंत्री का सेमिनार हॉल में प्रवेश।
बड़ी गहमागहमी है हॉल में।
मंत्री जी ने आते ही कहा नमस्कार मित्रों।मैं आपका मंत्री त्रिलोक सिंह गजपति आप सभी बुद्धिजीवियों का स्वागत करता हूँ।
अरे! पीए साहब।पहले कुछ जलपान हो जाए।उधर मीडिया के लोग खुसर-पुसर करने लगे कि आज हो सकता है कि कोई सुखद समाचार साँझा किया जाएगा!
कहीं ऐसा तो नहीं कि इनका विभाग बदल रहा हो!
कई तरह की अटकलें जारी है और कयास भी लगाया जा रहा है।
बहरहाल मंत्री गजपति जी ने भी पत्रकारों से उनके हाल-चाल और परिवारों के सन्दर्भ में भी बात की।यह उनका निजी प्रसंग है और ऊपर से भी निर्देश है कि मीडिया के लोगों से मित्रवत आचरण किया जाए,वरना कब किस की कुर्सी छीन लें,कुछ कहा नहीं जा सकता।

बहरहाल जलपान के बाद मंत्री महोदय ने कहा कि हमारे मंत्रालय ने यह विचार किया है कि रोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा और प्रकृति के संरक्षण में लगे लोगों,व्यक्तित्व के साथ ऐसी संस्थाओं को भी पुरुस्कार दिए जायेंगे।
इसके साथ ही पार्कों में जा रहे लैला मजनुओं का अनाधिकृत रूप से प्रकृति से छेड़छाड़ करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।इसके साथ हम तकनीकी एक्स्पर्ट की भी मदद ले रहे है।जब भी कोई व्यक्ति पार्क में प्रवेश करेगा तो तकनीक के माध्यम से लड़के या लड़की के पैरेंट्स के मोबाइल पर उनके आने का समय और जाने का समय दर्ज होगा।
ऐसा करके हम शिक्षण संस्थाओं में कार्य कर रहे गुरुओं के हित की भी रक्षा कर सकेंगे।इस तरह के प्रयास अगले दो महीने से ही लागू कर दिए जायेंगे।

*अगले दिन के अखबार*
आज अखबारों में पहली सुर्खियों में मंत्री जी का वक्तव्य

पार्कों में प्रेमियों पर कड़ी निगरानी
पार्कों में प्रवेश प्रेमियों के आने व जाने की सूचना दर्ज
पेरेंट्स को इत्तिला मिलेंगी
त्रिलोक सिंह गजपति,मंत्री,पर्यावरण।

दिन भर मीडिया हाउस से लेकर कालेज,यूनिवर्सिटी तक में बड़ा बवाल कटा।कुछ कालेज स्टूडेंट्स ने मंत्री त्रिलोक सिंह गजपति का पुतला नगर के चौराहे पर फूंकने का अभियान आरम्भ किया।
धीरे-धीरे में यह आंदोलन की शक्ल अखितयार कर गया।
अब हर चैनल,हर मीडिया हाउस के लोग लो प्रोफ़ाइल वाले मंत्री त्रिलोक सिंह जगपति को हाथोंहाथ लेने लगे।
मंत्री जी के पीए टीटू सिंह सोनुवालिया ने कहा कि क्या सरजी! क्या बखेड़ा ले लिया आपने भी!

गजपति ने कहा कि बेटे कुछ काम करने पड़ते है।तुम इस बीच उस विलायती राम पांडेय का भी पता ट्रेस कर के रखो।अगर जरूरत पड़ी तो उनका भी नागरिक अभिनंदन करवा दिया जाएगा।

उधर कालेज स्टूडेंट्स अखबारों में और टेलीविजन पर चिल्ला रहे थे।ये हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है।इसका मतलब क्या हुआ!
हम कुछ बोल नहीं सकते!
किसी पार्क में भी नहीं जा सकते!
क्या हम छोटे बच्चे है!
हम कुछ नहीं समझते!

इस तरह के सर्विलांस लगाने की जरूरत ही क्यों!

मामला तूल पकड़ने पर पार्टी के प्रवक्ता रामकिशन पुनिया सामने आये और कहा कि देखिये गजपति जी की भावनाएं बड़ी क्लियर है,वे परम्पराओं में सेंध लगाने वालों के खिलाफ है,इस बात का मैं समर्थन करता हूँ।यदि ऐसा नियम बन भी रहा है तो किसी के मौलिक अधिकार का हनन वाली बात कहाँ से आ गई!
ये तो इसलिये घोषणा की गई कि नियम से चलने में कोई परेशानी भी नहीं है।उरमदराज पुनिया जी की बातों का अमल हुआ।
हाई कमान ने त्रिलोक सिंह गजपति का विभाग बदल कर उन्हें ग्रामीण व विकास मंत्री के कार्य भार से लाद दिया और संग़ठन प्रभारी उत्तरप्रदेश के रामकिशन पुनिया को पर्यावरण मंत्री के पद से सुशोभित कर दिया।

अगले दिन गजपति के जाने की और पूनिया के आने की खबर पहली सुर्खियों में था।

अपने छज्जे पर बैठे हुए विलायती राम पांडेय सोच रहे थे कि मेरा कहना माना,गजपति जी ने और ये बवाल कट गया।
राम जाने और क्या होगा,आने वाले समय में!
तभी रामप्यारी ने कहा-क्यों देते हो सलाह!
बेचारे का विभाग छीन गया,तुम्हारी वजह से।अब देखो पुनिया आ गया।कहीं तुम पर तो गाज नहीं गिरने वाली!

पांडेय जी ने कहा-मैं आम आदमी हूँ।मेरा क्या होगा!
रामप्यारी ने कहा-आजकल आम आदमी सबसे पहले पिटता है उसका ऑडिट भी दूसरे ऐसे करते है जैसे आपने टेक्स न भरा हो।

पांडेय जी बोले-जाओ,जाओ।अपना काम करो,बेमतलब में बीपी न बढ़ाया करो।

ठंडी हवा के झोंके ने पांडेय जी को नींद के आगोश में ला दिया और वे क्रिएटिव मॉड में आ गए।

आम आदमी/लालित्य ललित

आम आदमी वह इकाई है

जिसे अपने गरूर पर बड़ा नाज़ है
होना भी चाहिए

उसके सिवाय उसके पास कुछ नहीं

जरूरत पड़ने पर किसी भी दल की वह सहायक सामग्री हो जाता है
प्रदर्शन करता है

लाठी भी खाता है
अपनी झुग्गी पर पार्टी का झण्डा भी फहराता है

झुग्गी के अंदर उस पार्टी के नेता की फोटो भी लगाता है

यदि आम आदमी न हो तो
नेता जी शून्य!
वैसे ही किसी भी अभिनेता की फिल्में
लोग न देखे तो अभिनेता शून्य

शून्य का जीवन में बड़ा योगदान है

स्वामी विवेकानंद ही थे जिन्होंने शिकागो में
इसी विषय पर भाषण दिया था।
अभिभूत हुई थी दुनिया

नहीं जानते तो जीवनी पढ़ो

जीवन में किताबों को महत्व दो
वे तुम्हें
तुम्हारे स्तर को कहीं ऊंचा कर देगी।
यकीन करो

आगे बढ़ो

आम आदमी महज आम नहीं
समाज की एक विशिष्ठ इकाई है

इसको कम न आंकना
यह तुम्हारी भूल होगी
इस बात को जान लेना
आई बात समझ में,भइया।

सुनो,चाय बन गई।क्या अब इसे कोल्ड कॉफी बनाओगे!

बड़बड़ाते हुए पांडेय जी उठे और सुड़क सुड़क कर चाय का स्वाद लेने लगे।अख़बार हाथ में था।थोड़ा घबरा भी रहे थे,कहीं गजपति का या उनके किसी चेले का फोन आ गया तो क्या होगा!

पांडेय जी खुद से ही बात करने लगे।क्या होगा!
मैं तो आम आदमी हूँ।मैंने तो सलाह दी थी।सलाह देना अपराध है क्या!

जैसे ही फोन की घण्टी बजी-
किसी ने कहा कि आप विलायती राम पांडेय जी बोल रहे है!
मंत्री गजपति जी आप से बात करेंगे।
पांडेय जी को लगा कि ये तो वही हुआ,जिसका अंदेशा था।
हकलाते हुए कहने लगे कि सरजी मेरा दोष नहीं है।उलटे गजपति जी ने कहा कि पांडेय जी आप जैसे लोग यदा कदा है।आपकी भावनाएं मौलिक और निर्मल जल जैसी स्वच्छ है।मैं खुद पर्यावरण से सन्तुष्ट नहीं था।अब मैं ग्रामीण विकास मंत्रालय देखूँगा।कभी आइये आप के साथ चाय पी जाएं।
नमस्कार।

अजी सुनती हो!
अभी फोन आया,ग्रामीण विकास मंत्री गजपति जी का।
रामप्यारी कीचेन में आटा गूंध रही है,कहने लगी कि गजपति का फोन आये या आये प्रधानमंत्री का!

कोई मेरा आटा गूंध देगा!
कोई कपड़ें धो देंगा!
चिल्लाये मत।आलू रखे है टेबल पर।छील दो।
बाथरूम में वाशिंग मशीन से कपड़ें निकाल कर बाहर तार पर सूखा दो,पौधों में पानी दे दो।

पांडेय जी सोचने लगे कि भइया चुप रहने में ही भलाई है,अगर काम नहीं किये तो उनका पारिवारिक पर्यावरण बिगड़ने के कगार पर है।

कुछ देर के लिए मोबाइल उन्होंने स्विच आफ कर दिया।
अब पांडेय जी आलू छील कर,सुस्ताए नहीं कि हीटर टॉइप शेरनी फिर दहाड़ी-कितना काम कर लिया!
हाथ चलाओ जल्दी।
कपड़ें सुखाने के बाद चीकू को लेकर बैठना।
उसे भाषा की दिक्कत है।
कल कह रहा था कि भाषा की उत्त्पति कब हुई!

मैंने भी कह दिया कि अपने पापा से पूछना।वे ठहरे लेखक।

अब पांडेय जी को लगा कि पहली बार घरवाली ने लेखक माना,वरना अभी तक तो निखद्द कहती आ रही थीं।
पांडेय जी का दिमाग चलने लगा कि किस ने किया था भाषा का अविष्कार!

फिर सोचने लगें इधर मोबाइल बन्द है।ऑन कर के बताऊंगा।
कबकी पढ़ी हिंदी अब इस उम्र में गोले दाग रही है,ये किसी को पता था!

निष्कर्ष:
किसी से होना हवाना कुछ नहीं।आम आदमी चीखने चिल्लीपों करने के लिए पैदा हुआ है।कुत्ता शुरू से अपना स्वभाव नहीं छोड़ेगा,आप मारुति ले लो या पजेरो,उसने आपके पहिये को पवित्र करना ही है।

वे पति लम्बी जिंदगी जियेंगे जो पत्नियों का कहना मानेंगे,जहां वे भिड़े तो करवा चौथ का उपवास भी रक्षा करने में निष्क्रिय साबित होगा।

यदि आपको जी हजूरी करनी आती है तो आप सफल व्यक्ति कहला सकते हो अन्यथा आप एक आम आदमी हो जिसे हर सामने वाला विलेन नजर आएगा और सत्ता पक्ष से जुड़ा वह चाबुक जो आपकी कमर पर पड़ कर ही रहेगा।

टिप्पणी/समीक्षा


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