कामूक भावों का समाधान
कामुकता एक ऐसी भावना है जो हर स्वस्थ प्राणी में आनी ही है चाहे वो नर हो या मादा हो,कामुक भावनाओं का समाधान होना जरूरी है ,अगर ऐसा नही होता तो काम भावनायें कुंठा का रूप ले लेती हैं और धीरे धीरे मानसिक रोग बन जाती हैं ,इसके समाधान का एक ही उपाय सर्वश्रेष्ठ है और वह है शिक्षा में सेक्स शिक्षा को शामिल करना ,जिससे कि मन मे उठ रही भावनाओं का समाधान उचित समय में मिल सके ,क्योंकि हमारे समाज में इस विषय पर बातचीत नही होती न ही इस विषय के विशुद्ध जानकार आसपास आसानी से मिलते हैं ,जिससे कि इस विषय पर जानकारी एकत्र करना और भी कठिन है ,हमारे समाज में इस विषय पर चर्चा करना एक अपराध बोध से एहसास कराता है क्योंकि हमारे वातावरण का पूर्वाग्रह हम पर अंदर तक पैठ बना चुका है ,यही नकारात्मक सोंच मानव मष्तिष्क में बीमारी पैदा करने का एक प्रमूख कारण है ,लोगों को कोई जानकर मिल भी जाता है तो उससे इस विषय पर खुलकर सवाल नही किया जाता और न ही ऐसी इच्छा होती है ,निश्चय ही यह एक विषय है कि उस तरह के जानकार की पहचान करने में भी कठिनाई आती है ,इसलिए जब यह विषय शिक्षा में शामिल किया जाएगा तो यह समस्या नही होगी,और मनोविकार उतपन्न नही होंगे ,दिमाग में उतपन्न विचारों का समाधान नही होता तो वही विचार विकार बन जाते हैं ,जीवन के एक समय में इस तरह के विचार अत्यधिक आते हैं खासकर किशोरावस्था और युवावस्था के प्रारम्भ में लेकिन क्योंकि इस विषय को ढककर रखा गया है जिससे उस अवस्था के लोग छुपकर सेक्स सम्बंधित पत्रिका लेख वीडियो देखने पढ़ने लगते हैं और पोर्नोग्राफी जब लत बन जाती है तो फिर कामुक भावनाएं कई खतरनाक रूप ले लेती हैं ,पोर्नोग्राफी में जिस तरह से इन्सेस्ट सेक्स, चाइल्ड सेक्स,दिखाया जा रहा है यह मनोविकार को बढ़ाने वाले कारक सिद्ध हो रहे हैं और समाज में बलात्कार जैसे अपराध को बढ़ाने में अहम योगदान है ,इसलिए सेक्स शिक्षा देकर इस समस्या तथा इससे उत्प्रेरित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है ,
