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सम्राट पृथ्वीराज , भारतीय इतिहास और गूगल का ज्ञान


पिछले 15 दिनों से एक बात की चर्चा अनेक जगह हो रही है वो है हाल ही मे आई फिल्म सम्राट पृथ्वीराज...

जहां देखो वहाँ इस फिल्म के बारे मे बात हो रही है, लोग अपनी भड़ास निकाल रहें हैं, लगातार विडियो बनाए जा रहे हैं। 

ये फिल्म कैसी है उस बारे में कुछ कहना मुझे उचित नहीं लगता हाँ परंतु एक बात बोलने से अपने आप को नहीं रोक पा रही की इस फिल्म के आने की खबर से ही गूगल का ज्ञान अपनी चरम सीमा पर है क्यूकी 100 मे से 99 लोग फटाफट गूगल पर पृथ्वीराज टाइप करके पढ़ रहें हैं और धड़ाधड़ विडियो बनाए जा रहे हैं, वो लोग जिन्होने भारतीय इतिहास का एक पन्ना भी कभी पढ़ा ना होगा कभी मध्यकालीन इतिहास की कोई पुस्तक ना देखी होगी आज वो सभी परम ज्ञानी हो गए हैं और बड़ी शान से विडियो मे कह रहे हैं की पृथ्वीराज रासो एक काल्पनिक ग्रंथ है और संयोगिता एक काल्पनिक पात्र...

मुहम्मद गोरी पृथ्वीराज के मरने के बाद अनेक वर्षों तक जीवित था और गजिनी का राजा बनकर राज्य किया, ये तो बहुत ही आम और साधारण सी बाते हैं, आगे वो लोग यह भी कह रहें है की पृथ्वीराज एक असफल शासक था जिसकी बाकी राजाओं से दुश्मनी थी, और पृथ्वीराज रासो यह ग्रंथ 16 वी शताब्दी में लिखा गया जबकि पृथ्वीराज 1192 ई में ही खतम हो गया था। कोई उनकी जाती के बारे में बोल रहा है तो कोई उनके दुश्मनों की तारीफे कर रहा है, कुछ न कुछ कमी कोई खामी निकाल कर बस गलत ही बोला जा रहा है। जातिगत भेदभाव, एकता ना होना , मतभेद, दुश्मनी, सत्ता के लिए संघर्ष बस यही बार बार बोला जा रहा है। एक ने तो हद कर दी यह बोल कर की विवाह के पश्चात पृथ्वीराज ने 6 महीने राज्य की तरफ देखा ही नहीं केवल भोग विलास मे लिप्त था कोई कह रहा है की यादव राजा चौहान राजाओं से श्रेष्ठ थे और उन्हे अनेक बार हरा चुके थे।

एक बात बताओ ये सब बातें कितना मायने रखती हैं आज? क्या ये साबित करना आवश्यक है की दोनों मे से श्रेष्ठ कौन था या फिर ये देखना जरूरी है की वो दोनों ही विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध अपने देश की रक्षा के लिए लड़े थे। सभी वीर थे सभी कुशल थे सबने अपने तरीके से युद्ध किए थे सबने, कोई जीत गया तो किसी के प्रयत्नों को यश नहीं मिला,

 पर आज हम क्या कर रहे हैं? वो शूरवीर जिनके बलिदानों की वजह से आज हम ये सब बातें इतनी आज़ादी से बोल पा रहें है हम उनकी कितनी ही इज्ज़त रख रहें है? 

जब मैंने इतने सारे ज्ञानी लोगों के विडियो देखे तो सोचा की ये जो भी कह रहें हैं वो ज्ञान की गंगा कहाँ से बह रही है इसका पता लगाया जाये तब मुझे इसके उद्गम का पता चला और वो हैं हमारे प्रिय गूगल बाबा...

गूगल बाबा ज्ञान का ऐसा निर्झर स्त्रोत है जो अविरत है असीमित है अनंत है अथाह है, और आजकल की पीढ़ी का सबसे प्रिय साथी भी...

क्या आप जानते हैं की आजकल जनता अकेले में भी अकेली नहीं होती क्यूंकी बाबा उनके साथ होते हैं। 

अब ये सब देखकर मुझे लगा की क्यूँ न थोड़ा ज्ञान मै प्राप्त कर लूँ !

किताबी कीड़ा बनना कहाँ तक उचित है जब फ्री में सारा ज्ञान दिखाई और सुनाई दे रहा हो तो क्या ही बात है। 

यह सोचकर मैंने भी गूगल के इस ज्ञान सागर में गोते लगाना शुरू किया और फिर जो मैंने पाया वो मै क्या ही बताऊँ...

असल में जिस जगह को मैं ज्ञान का सागर समझ कर उसमे से मोती ढूँढने की कोशिश में लगी थी वो तो सड़े और जमे हुये पानी का तालाब निकला। 

ऐसा लगा कुछ अवसाद ग्रस्त और पूर्वाग्रही इतिहासकारों ने जो मन मे आया वो वहाँ उड़ेल दिया है। 

भारत और भारतीय सभ्यता के बारे में विदेशों से आए हुये लोगों ने अपने दिव्य अनुभवों से जो प्राप्त किया वो सब वहाँ मिलेगा, प्राचीन भारत उनके चश्मे से कैसा दिखता था, कैसे भारत में अन्याय और अत्याचार का वातावरण था , कैसे-कैसे भेद थे , यहाँ की वर्ण-व्यवस्था कितनी खराब थी। सारा कचरा आपको एक साथ मिलेगा। सब कुछ बुरा नहीं है वैसे कुछ अच्छी बातें भी हैं जैसे की यहाँ मेहमान को भगवान माना जाता था , एक बार जो भारत आता था वो इस देश को अपना घर मान कर कब्जा जमा लेता था, भारतीय शासक कुछ पैसों और सत्ता के लिए विदेशी लोगों से कैसे हाथ मिला लेते थे। और भी बहुत कुछ...

ये सब पढ़कर मन सुन्न है, स्तब्ध है और खिन्न है...क्या वाकई यही हमारा इतिहास है? 

क्या जो भारत गूगल पर बताया जा रहा है वही सत्य है ? क्या भारत में केवल बुरे लोग बुरी भावनाओं के साथ जीते हैं? क्या भारत को बाहर से आए विदेशी मेहमानों ने बनाया है? क्या भारत की संस्कृति, कला, सुंदरता किसी और की देन है? 

आज इतिहास की पुस्तकों में फ्रेंच क्रांति है, नेपोलियन है , कार्ल मार्क्स है , हिटलर है परंतु राणा सांगा नहीं हैं , बिरसा मुंडा नहीं हैं, और कितने ही नाम बताऊँ जो कहीं दर्ज़ किए ही नहीं है आप एक बार टाइप करो “मध्यकालीन भारतीय इतिहास और ग्रंथ”... पता है क्या लिस्ट आती है 

1)चचनामा 2)तहक़ीक़ात-ए-हिन्द 3)ताजुल मासिर 4)तबकात-ए-नासिरी5)तुगलकनामा 

ऐसे अनेक ग्रन्थों की लंबी लिस्ट आ जाती है... 

क्या यही है मध्यकालीन भारत? 

यदि यही सब भारत में थे तो पृथ्वीराज कौन थे? वीर आल्हा-उदल कौन थे? चंपतराय कौन थे? 

सातवाहन कौन थे? यदि मुहम्मद गोरी पृथ्वीराज मरने के बाद भी जीवित था तो हम जो बचपन से “चार बास चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण” सुनते आ रहे हैं वो क्या था भाई? 

विदेशी आक्रांताओं ने देश को बड़ी बड़ी इमारतें दी , वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण दिया तो फिर सोमनाथ का मंदिर किसने तोड़ा? भारतीय संपत्ति किसने लूटी? 

भारत जिसे सोने की चिड़िया कहा जाता था क्या वो इस देश की सभ्यता और संस्कृति के कारण या फिर इस गूगल ज्ञान के मुताबिक उन मेहमानों के कारण, 

जो आए तो थे  भारत को लूटने पर फिर कभी वापस ही नहीं गए। 

सोचिए और समझिए...भारत का वास्तविक इतिहास पढिए...किसी अवसादग्रस्त या पैसों की खातिर लिखी हुई किताब के कम दिमाग लेखक के नजर से नहीं बल्कि भारत के उन लेखकों की किताबे पढ़ें जो वाकई भारत को अपनी माता मानते हैं किसी वास्कोडिगामा ने खोजा हुआ देश नहीं। गूगल पर बाकी जो ज्ञान की बातें हैं उन्हे आत्मसात करें पर भारत का वास्तविक इतिहास पढ़ना हो तो कृपया किताबें पढे। और यदि आपको गूगल पर ही ज्ञान प्राप्त करना है तो कुछ ऐसा पढ़ें जिसमे भारत के बारे में सही वर्णन किया गया हो, हमारे प्राचीन ग्रंथ, वास्तुकला, शिल्पकला, और अनेक ऐसी बातें हैं जिनकी वजह से भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ कहलाता है। भारत की नयनरम्य प्रकृति, नदियां , पर्वत , झील , प्राचीन मंदिर , पुरानी इमारते इन सबके बारे मे पढे और पूरी दुनिया को बताए की हम कौन है। जातिभेद , मतभेद होते हुये भी सैकड़ों वर्षों से साथ ही रहते हैं। राजपूत से यादव श्रेष्ठ , वैश्य से ब्राह्मण श्रेष्ठ ये सब साबित करने की बजाय भारत और भारतीय पूरी दुनिया में श्रेष्ठ है यह साबित करें। 

गूगल से ज्ञान प्राप्त करें पर किसी भी बात को सच मानकर न बैठ जाये ये हृदय से विनती है। 

                            प्रगति दाभोलकर

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