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आपबीती

                    आपबीती
       उसने कहा फोन हमारा दुश्मन है, उस वक्त मेरे सीने में एक दर्द सा अनुभव हुआ जो मुझे झकझोर गया। उसे समझ भी नहीं आया होगा कि वह क्या कह गया है। बात करते करते मैं खो गई अतीत के उन लम्हों में जो मैने छह साल से उसके साथ फोन के जरिए जीए थे, क्या था वो सब कुछ जिसे उसका प्यार मानकर उसके साथ हर पल जी रही थी फोन के जरिए ? 
जैसे जमीन पैरों के नीचे से खिसक गई हो ।सीने का वो दर्द जान ले कर जाता तो कितना अच्छा होता यही सोच कर मेरी आंखों के आंसू बाहर आने लगे । उसने एक झटके में मेरी गलती का अहसास कराया था, जो मेरे अपने पास के लोग नही करवा पा रहे थे। फोन वाला प्यार वो भी इतनी दूर से , वही मेरी दुनिया बन चुका था लेकिन उसने मेरी आंखे खोलने में देर कर दी। हां अब बहुत देर हो चुकी थी।

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