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जीवन शिक्षक है

        जब तक उसकी बातों को हां में हां मिलाकर मानती रही वो साथ चला मेरे, जीने की वजह था वो।छोड़ कर चली आई थी उसका हाथ पकड़ कर अपना संसार उसके साथ बसाने की उम्मीदें लेकर। उस पर विश्वास खुद से भी ज्यादा किया था,आंखे मूंदकर उसका अनुसरण करने लगी थी। जैसे ईश्वर का वरदान था वो।वक्त के साथ आंखो से परदे हटने लगे, मैने उसे अपना संसार मान लिया था और वो अपनी अलग निजी जिंदगी  के साथ जीना चाहता था उसकी एक आदत भी न बदली मेरे लिए मेरा पूरा जीवन बदल गया उसके लिए। खुद अपने वजूद को मिटाने वाली मैं छटपटा कर रह गई , अवसाद से घिरकर खुद को कमजोर तो बना ही चुकी थी ,उम्मीद की किरण आई जीवन बदलने लगा हां अब आंखो के परदे पूरी तरह हट चुके हैं, नई उम्मीद लेकर किसी तरह साहस जुटाकर अपनी पहचान उससे अलग ढूंढने की प्रेरणा जीवन के संघर्ष से ही मिली, हा जीवन से ही सीखा और जीवन ही मेरा गुरु मेरा शिक्षक है ।


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