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वो अजनबी

अजनबी तुम्हारे लिए,,,

कभी अजनबी थे जमीं आसमा ये तेरा हाथ थामा तो हुए मेहरबान ये..

मीलों दूर से कब दिल में घर कर गया पता ही नहीं चला.. फ़िल्मों में देखा था.. और सुना था कि लाखों करोडों की भीड़ में कोई एक चेहरा सीधे आपके दिल में उतर कर आपके रूह को छू लेता है..

और यही उस अजनबी ने किया.. कब कैसे बिना हमारी इजाजत हमारे दिल में घर कर गया..

जब वक़्त बेवक्त उसकी मौजूदगी का एहसास होने लगा तब समझ पाये की जनाब बड़े आराम से हमारे दिल में अपना अधिकार जमा चुके..

और फिर...
जाने कैसे कब कहां इकरार हो गया..
हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया..

जब पक्का यकीन हो गया कि जो महसूस कर रहे हैं वो सच है तो ऐसा लगा बेमौसम बहार आ चुकी अपनी जिंदगी में..

सूनी सी.. उदास सी जिंदगी में हमने उनका स्वागत किया.. और अपनी जिन्दगी को उन्हें सौंप दिया.. 

और फिर किसी जौहरी की तरह उन्होंने मामूली पत्थर को बेशकीमती हीरा बना दिया....अजनबी का साथ मिला और जिन्दगी गुनगुनाने लगी.. और तकदीर चमक उठी.. 

ऐसा लगता था जिंदगी राख हो चुकी थी.. पर उस अजनबी ने राख हो चुकी जिंदगी में भी मोहब्बत का शरारा ढूंढ निकाला..

ओ अजनबी,,, 

अब जो तुमने ये प्यार की लौ जलाई है तो इसे बुझने ना देना..

मीना राज 

बोलो?????

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