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हमारे राम आ गए हैं !



महर्षि 'बाल्मीकि', गोस्वामी 'तुलसीदास', बड़े -२ संत महात्मा, सिद्ध पुरुषों एवं भक्तों द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री 'राम' चन्द्र जी के बारे में सब कुछ लिखा जा चुका हैं, सब कुछ बताया जा चुका है, सब कुछ समझाया जा चुका है ! भगवान श्री 'राम' चन्द्र जी के बारे में अब तक जो कुछ भी मैंने पढ़ा है, देखा है, सुना है, जाना है, समझा है अथवा महसूस किया है बस उसे ही इस लेख के माध्यम से आप लोगों के बीच साझा कर रहा हूं ! श्री 'राम' के बारे में अक्षरशः जानने के लिए नि: संदेह आपको उन सभी धर्मग्रंथों का अध्ययन करना पड़ेगा जिसमें उनके बारे में विस्तार से लिखा गया है अथवा जिसमें उनकी महिमा का वर्णन किया गया है ! भगवान 'राम' न सिर्फ नारायण श्री हरि 'विष्णु' के अवतार हैं अपितु सम्पूर्ण जगत के 'स्वामी' हैं ! 

जब से मैंने होश संभाला तब से अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं बड़ों के मुखारविंद से, 'रामलीला', 'रामचरित मानस', धारावाहिक 'रामायण' इत्यादि के माध्यम से भगवान 'राम' को जाना है ! कक्षा नौ पढ़ते हुए पहली बार 'कारसेवकों' एवं 'राम रथ यात्रा' जो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी जी ने शुरू की थी उसकी चर्चा मेरे कानों में भी पड़ी ! इसके बाद जब भी हमारे देश में आम चुनाव होते हर बार जरुर सुनाई देता कि, 'अयोध्या में मंदिर बनना है !' यह सब बातें जब हम लोग सुनते तब आपस में पूछते कि, 'क्या अयोध्या में भगवान श्री 'राम' का मंदिर नहीं बना है ?' तब बड़े बुजुर्ग ज्यादा कुछ न बताकर हमें केवल पढ़ाई पर ध्यान रखने की हिदायत दिया करते थे !

खैर एक समय वो भी आया जब हर तरफ चर्चा होने लगी ! आस पड़ोस, गली- मुहल्ले, रेडियो, दूरदर्शन इत्यादि सभी जगह कि, 'वर्षों पुरानी एक 'मस्जिद' अयोध्या में ढहा दी गई ! यह बात और है कि, उस एक 'मस्जिद' के ढहने के बाद न जाने कितने 'मंदिर' पड़ोसी मुल्कों ने अपनी आन बान शान कायम रखने के लिए ढहा दिए जिसकी चर्चा भी उन दिनों सुर्खियों में थी ! अगले कुछ वर्षों तक चुनाव दर चुनाव आते गए और हम लोगों की जिज्ञासा जो कभी बड़े बूढ़ों से पूछने पर शांत हो जाया करती थी, अब खुद पर सिमट कर रह गई थी ! उसी दौरान 'देवरहवा बाबा' से किसी पत्रकार ने सवाल किया था उसकी चर्चा भी हम लोगों के कानों तक पहुंची जिसमें उन्होंने (देवरहवा बाबा) ने कहा था कि "सब लोग मिलकर राम मंदिर बनाएंगे" जो कि सच साबित हुई ! वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है पाठकों से अनुरोध है कि कृपया एक बार 'देवरहवा बाबा' की भविष्यवाणी अवश्य सुनें !*

भगवान 'राम' के बारे में शायद ही भारत का कोई नागरिक नहीं जानता हो भले ही किसी भी धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति से ताल्लुक रखता हो परन्तु जिस तरह सुप्रीम कोर्ट से 'मंदिर' बनने की राह आसान हुई यह भी हमें हैरत में डालती है ! राम मंदिर निर्माण में वही सब सच हुआ जो वर्षों पहले एक संत ने कही थी ! हम सभी भारतवासियों के सहयोग से भव्य राममंदिर बनकर तैयार हुआ है ! वर्षों से जिस शुभ मुहूर्त का इंतजार था वो दिन भी आ गया जब २२ जनवरी २०२४ को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान श्री 'राम' की प्राण प्रतिष्ठा करने के उपरांत 'कालजयी' सम्बोधन किया ! अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री जी ने सबसे पहले यही कहा कि, 'हमारे 'राम' आ गए हैं !' देखा जाए तो यह केवल वाक्य नहीं है ! जब आप शब्दों की गहराई पर जाएंगे तब पता चलेगा कि, "त्रेतायुग में तो भगवान श्री 'राम' को मात्र चौदह वर्ष का वनवास मिला था परन्तु कलियुग में तो पूरे 'चार सौ छियानवे' वर्षों का वनवास विदेशी आक्रांताओं द्वारा दिया गया जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी 'कम' है !"

अंत में मैं केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि, "मेरे 'राम' आ गए हैं !" वर्षों की तपस्या, वर्षों के संघर्ष, वर्षों के त्याग और बलिदान, वर्षों का इंतजार, वर्षों पहले ली गई शपथ के परिणामस्वरूप भगवान श्री 'राम' अपने महल में पधारे हैं ! त्रेतायुग में जहां वनवास की अवधि मात्र चौदह वर्षों की थी कलियुग में बढ़कर चार सौ छियानवे वर्ष हो गई ! त्रेतायुग में भगवान श्री 'राम' के अयोध्या पधारने पर दीपावली मनाई गई थी ठीक वही आयोजन २२ जनवरी को दिखाई दिया ! सब कुछ देखने सुनने के बाद मन को बड़ी शांति मिली कि, "हम उन सौभाग्यशाली लोगों में से हैं जिन्होंने कलियुग में भगवान श्री राम के वनवास से लौटने के बाद दीपक जलाकर उनका स्वागत किया है !" मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि, यह दीपक हम सभी भारतवासियों के भीतर बाहर जलता रहें जिससे हम सभी कह सकें कि, "हमारे 'राम' आ गए हैं !"

जय श्री 'राम' !

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