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द्रौपदी

द्रौपदी.....


द्रौपदी नहीं कोई अबला थी

यज्ञ से जन्मी यज्ञसेनी थी


ध्रुपद ने अपने मित्र द्रोण से प्रतिशोध की खातिर ये यज्ञ किया था

द्रौपदी ने भी पूर्व जन्म में उत्तम पति की खातिर घोर तप किया था


जिस यज्ञ से द्रौपदी का जन्म हुआ उससे धृष्टद्युम्न भी जन्मा था

जन्म से धारण कर कवच वह क्रोधवश अश्वारूढ़ हुआ था


पिता ध्रुपद को नहीं पुत्री का मान

वरदान में मांग लिया उसके खातिर अपमान


वो थी बड़ी ही विदुषी नियति ने की ऐसी तैसी

कृष्णा और ध्रुपद कन्या से बेचारी बनी पांचाली


हुआ स्वयंवर का आयोजन भरी सभा में भुजबलशाली

किसी ने न उसकी इच्छा जानी, ध्रुपद ने भी कर ली तैयारी


कौरव संग अंग राज भी पधारे थे उस आयोजन में

उसके द्वारा कहे सूतपुत्र का विष पी गये अपने मन में


लाक्षागृह की घटना बाद भेष बदल जब पाण्डव आये

भेष था उनका ब्राह्मण का, तो कृष्ण ही पहचान पाये


अब समय आ चुका था आयोजित स्वयंवर का

बाकी था उद्घाटन पाण्डव के खांडवप्रस्थ से जीवित आने का


अर्जुन ने अपनी धनुर्विद्या का अद्भुत खेल दिखाया

जिसे देख भरी सभा में मौन सन्नाटा छाया


दुर्योधन ने पहचान पाण्डवों को युद्ध को ललकारा

कृष्ण ने पड़ बीच में सारा माहौल सम्भला


विवाह संपन्न हुआ उसका गाण्डीव धारी संग

सब पहुँचे राजमाता के सन्मुख, ये बात बताने को


भीतर से हुआ आदेश बांट लो पांचों भाई आपस में

ये सुनकर सभी पड़े धर्म संकट में


विधि का विधान कहूं या द्रौपदी पर श्राप की छाया

उस बेचारी ने कभी न कोई सुख पाया


दुःशासन था अति क्रूर निर्दयी

उसके द्वारा वो केश पकड़ बीच में आई


बीज पड़ गया युध्द आयोजन का

हर मन पल व्यथित रहा द्रौपदी का


युध्द हुआ, हाहाकार मचा, चारों ओर चीत्कार मचा

भीम द्वारा वधे दुःशासन के रक्त से उसका श्रृंगार हुआ


के नहीं महज एक द्रौपदी की कहानी है

आज भी जाने कितनी ही स्त्रियां छली जाती हैं


कहीं क्रूर निर्दयी प्रथाएं आज भी चलती हैं

जिनसे बचने जाने कितनी द्रौपदियाँ भीतर ही जलती हैं


कभी कभी लगता है पुत्री होना ही श्राप है

पहले सीता अब द्रौपदी जीवित प्रमाण हैं


नौ रात्रि में में कन्या पूजन को खोजी जाती हैं

इसके बाद कितनी द्रौपदियाँ असहाय बन लूटी जाती हैं


बात जरा कड़वी है फिर भी मैं ये कहता हूं

हर शख्स के भीतर एक दुःशासन रहता है


मैं नहीं सम्मान या अपमान का अधिकारी हूं

मैं बन 'भैरव' महज स्त्री सुरक्षा का याची हूं


तुम जैसे खुद की लक्ष्मी की रक्षा करते हो

वैसे ही लड़कियां बहन, बेटियां तुम्हारी हैं


- भैरव ✍️


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