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मुहब्बत

किसी की याद में दुनियां तो हू भुलाए हुए

जमाना गुजरा हैं अपना ख्याल आए हुए

बडी अजीब खुशी हैं गमे मुहब्बत की,

हँसी लबों पे मगर दिल पे चोट खाए हुए

हजार पर्दे हो, पहरे हो, या हो दीवारे

रहेंगे मेरी नजर में तो वो समाए हुए

किसी के इश्क़ की बस इक किरण ही काफी हैं

ये लोग क्यों मेरे आगे हैं शमा लाए हुए......

 

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