रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

ग़ज़ल

बरस रहाहै....

🥀🌻🌹🌵🌸

बरस रहाहै  फ़िर से  धिर- घिर वो ,

मिलनेको है  शाय़द ,   मुन्तजिर वो ।


ईकही   वारमे ,  होजाये   चित वो!

लाउ कहां   से मैं  , आख़िर  तिर वो ?


गुज़र  गया वो ,मौसम  की  मानिंद,

आया   मौसम , ना आया फ़िर वो ।


याद करेगा  क्युं,    कोई  दासतां ?

ना था रांझा तूंं  ,  ना थी हिर  वो।


बांध लिया   मुझको, उम्रभर उसने,

ना जानें  थी   कैसी,  ज़ंजीर   वो ?


भूल गये  लो  हम , उसने कहां तो,

देखो फ़िर भी है , क्यूं  ग़मगीन वो?


हार  गया था में  "  इकदिन "हुसैन",

देगा मुझको  क्या वापस  दिल वो?


🖤💓  ❤️💙  हुसैन गाहा "हुसैन"

Date.15 -05 -2020.

- Vadala Gir..




,




टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु