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कौंधता प्रश्न

कौन मुजरिम
कौन
कौन आखिर कौन!

सच क्या है!
जानने को चाहते आमजन!
क्या सवाल के जवाब से किसी को संतुष्टि मिलेगी!

सोचिये!

नहीं
बिल्कुल नहीं
जो सत्तापक्ष चाहेगा
वही होगा साहब
कितने केस आज भी अदालतों में धूल खा रहे है
किसी को
किसी से कोई सरोकार नहीं!

मान लिजिए
आप उस बड़े वाले के जीजा जी है तो
किसी के हलक में भी जुबान डाल दी जायेग़ी
सोई हुई फाइल बाहर निकल आएगी
आप की खोई हुई अम्बेस्डकर कार भी मिल जाएगी
यदि आप उनके जीजा जी हुए तो
यदि नहीं तो
आप कौन!
कहाँ-कहाँ से मुंह उठाए चले आते हो!

एक अकेली साइकिल,बकरी या एम्बेसडर नहीं खोई
इत्ती बड़ी जनसँख्या है और आप कहते है
कि आपके काम में लग जाएं
कित्ता काम है
हम लोगों के पास
एक तो स्टाफ की कमी और आप लोग
एक चाय भी पीने नहीं देते!

अरे! तिलगोजे एक हाफ़ कट मक्खन मार के लाना
एक बन्द भी बटर लगा कर
यहाँ दिमाग की दही हो गया आज!

सवाल कौंध रहा है
इत्ती बड़ी आबादी
चाय,गाय और एम्बेस्डकर कार कोई क्यों ढूंढेगा
जब तक ऊपर से आदेश नहीं हो!
साहब का अर्दली चाय लेने चला गया और मैं यानी
तिरलोक बवेजा,उम्र पिचासी साल,रंग गेहुआं
अपना मुँह लेकर घर लौट आया
यह कहते हुए
जितना सामान आजतक खोया है
कभी मिला भी होगा!
लोगों का
जो मुझे मिलेगा!

सोनू की माँ
चाय बना दें,चीनी दो चम्मच डाल दें
लगता है शुगर खत्म हो गई
और सुन!
अपनी कोई सायकिल नहीं मिलने वाली
हमारा कौन वाली-वारिस है जो खोजेगा!
सोनू की माँ सुदर्शना कीचेन से बड़बड़ाए जा रही है
जब पता था तो क्या!
शुगर कम करवाने गए थे!
तुम भी न!
इस उम्र में ज्यादा चहलकदमी न किया करो
समझे।

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