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क्यों असुरक्षित हूँ ?


(काव्य)

- हरि पटेल 

मैं सीता, पार्वती, कुंती हूँ ,

भारत माँ की पुत्री हूँ;

मैं देवी का अवतार 

क्यों असुरक्षित हूँ ? 


सुबह की सुनहरी किरण,

मैं संध्या की तेज आभा;

घर-घर की शोभा हूँ,

मैं माँबाप की अभिलाषा |

स्नेह करुणा की मूर्ति,

मैं ईश्वर की प्रतिकृति हूँ;

मैं प्रकृति का वरदान 

क्यों असुरक्षित हूँ ?


बेटी बचाओ, बेटी पढाओ,

चारों ओर लगे नारे;

क्योँ कूंख से मारा जाता ?

क्योँ छीनते अधिकार हमारे ?

मैं झाँसी की रानी हूँ,

मैं ईन्दिरा गांधी हूँ;

मैं दुर्गा का अवतार 

क्यों असुरक्षित हूँ ?


‘Mee Too’ की पीड़िता,

मैं शोषित दर्दभरी गाथा,

संसार रथ का पहिया एक मैं,

मुझसे तो संसार चलेगा |

मैं सावित्री, मैं मीरां,

मैं गौरवशाली संस्कृति हूँ;

मैं गंगा की पावन धारा

क्यों असुरक्षित हूँ ?


मैं सीता, पार्वती, कुंती हूँ ,

भारत माँ की पुत्री हूँ;

मैं देवी का अवतार 

क्यों असुरक्षित हूँ ? 


Hari Patel

58, Balaji Green Garden City,

Talod, Sabarkantha -383215

Mo. 9998237934    

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