इलेक्शन के मौसम में
इलेक्शन के इक मौसम में,
एक सुबह ,इक चौराहें पें,
एक निवर्तमान मंत्री महोदय,
भाषणबाजी कर रहे थे,
'एक नई सुबह लाऊंगा,
गरीबी मिटाऊंगा,
सबको न्याय दिलाऊंगा,
रामराज्य फिर लाऊंगा,
गरीबों के हक के खातिर,
मै शूली पर भी चढ़ जाऊंगा
पर रोटी-कपडा़ और मकान,
सबकों मुहैया कराऊंगा,
(थोडा़ रूककर-फिर उग्र होकर)
'खाधान्न घोटालें मे मुझकों,
विपक्षियों ने गलत फंसाया है,
धर्म के पथ पर चलने के खातिर,
मुझकों बहुत सताया है,
(फिर जोर-शोर से)
यहां की सड़कों को,
मै फस्स क्लास बनवाऊंगा,
स्कूल-कालेजों की ,बहार लाकर दिखाऊंगा,
बिजली बिल और बैंक का कर्जा ,
सबका माफ करवाऊंगा,
बस इस बार दिला दो सत्ता,
दूंगा सबको बेरोंजगारी भत्ता,
(वही भीड़ मे खडा़ इक बुड्ढा,
चिथड़ें कपड़ों में लिपटा,
लेकर घृणित मुस्कान,धीरे से कहा)
'इनकय यह चिल्लाहट़ हम,
कईयों इलीक्शन से सुनित आईत हय।'