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दिल की बातें




उसका यूं जाना
पसन्द नही आया हमें।
लेकिन किसे कहें?
और क्यों कहें?
था ही क्या वो हमारा?
क्या जानता था वो हमें?

लेकिन हमारा दिल तो जुड़ा था न उससे
करता था उससे दिल की बातें
समझता था उसकी कमजोरियों को
बताता था उसकी परेशानियों को।
तो अब गर करता है सवाल ये दिल
तो किस से कहें हम?
किस से पूछें कि सच्चाई क्या है?
क्यों चला गया है वो ऐसे
दिल में छोड़कर अपनी यादें?

जिंदा हूँ अब भी
ये जानने को
कि था क्या आखिर उसके मन में
क्यों नहीं कही उसने दिल की बातें?
क्यों नहीं सुनाई अपनी दास्तां हमें?
कह देता तो साथ होते न हम?
न होते भी साथ, पर वो तो होता
अब हैं बस उसकी यादें
और इस दिल में बस रहा
उसकी यादों का गम।
या कह लीजिए एक तरफा
मुहहबत है ये सनम।

शशsssssss.....
कहना नहीं किसी से भी तुम
क्योंकि हैं ये मेरे दिल की बातें
रहने दो इन्हें मेरे दिल में
बाहर जो आई बवाल मचा देंगी
लोगों की जिंदगी में कोहराम ये ला देंगी।

सोनिल


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