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सिर्फ श्याम हैं

मेरी ज़िंदगी का सार

ज़िंदगी के आर पार ।

में अकेला ही तो हूँ

और सिर्फ श्याम हैं ।।


रीत में और गीत में

संगीत में और मीत में ।

मैं हूँ नित्य साँस साँस

और सिर्फ श्याम हैं ।।


नृत्य रास बल और छल

कल आज सदा और कल ।

तेरे नाम से ही नर हूँ मैं

और सिर्फ श्याम हैं ।।


लोक त्रिलोक धर धरा

कृष्ण कुंज रस भरा ।

योग वियोग निर्बल से मैं

और सिर्फ श्याम हैं ।।


महाभारत के युद्ध में

अधर्म के विरुद्ध में ।

मैं हूँ अर्जुन अज्ञान सा

विराट सिर्फ श्याम हैं ।।


मोक्ष धाम भी यूँ दिया

धर्म संस्थापित किया ।

वैभव और कृष्ण बाँट दिया

छले गए तो सिर्फ श्याम हैं ।।


मानव के ही कल्याण को

कर्ण अर्जुन के बाण को ।

दुर्योधन के अभिमान को

जो पी गए वो श्याम हैं ।।


To be contd....

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