मुवावजे इश्क के
बदनसीब है जो मोहब्बत में कुछ लिख न पायें,
इश्क के फलसफों पर न कर ऐतबार इतना ज़ालिम,
फ़लसफ़े हैं, झलझले तो लायेंगे ही!!
तू लिखता चला जा
ख़ुशगवार बनकर, फिर देख
मोहब्बत की दास्ताँ,
समा जाएगी तुझ में
इश्क करना नहीं गुनाह 'तरंग'
मुवावजा इश्क का माँगना ही
अपनेआप में सज़ा-ए-मौत है!!
® तरंग
