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गजल

बस उसी का ही नाम होता है,

जो कि कर्मों से राम होता है। 


आशियाँ भी तभी लुभाता है,

दर पे जब तक विराम होता है। 


ज़िन्दगी से जो हार ना माने,

पास उनके मकाम होता है।


चूर मद में कभी नहीं होना,

पद भी आखिर गुलाम  होता है। 


नूर रुख पे उन्हीं के आता है,

जिनके तन मन में श्याम होता है। 


वक़्त के साथ जो नहीं चलते,

काम उनका तमाम होता है।


स्वरचित 

शिल्पी पचौरी

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