प्रमुख रूढ़ि
बज रहे हैं घड़ियाल घंटे
गूँज रही है आरती
लगाए जा रहे हैं जयकारे
पूजे पोसे जा रहे हैं
पत्थर धातु काग़ज़ के प्रतीक
और सब शामिल हैं
इस पीटी जा रही लीक में
मासूम भी हैं शामिल
हाथ जोड़े आँखें मिचमिचाए
और
आरती के बाद लगाते हैं
सबसे ज़्यादा ताक़त
जय बोलने में, बिना कुछ सोचे समझे
अपने सवाल अपनी बुद्धी से!
और इसी सब प्रक्रिया में
तैयार हो रही है एक और पीढ़ी
जो मानती चली जाएगी
सब कुछ जो चला आ रहा है
पीढ़ियों से संस्कार के नाम पे
और
इनसे जुड़ी हज़ारों रूढ़ियों से
जिनमें ग़ैर बराबरी सबसे प्रमुख
रूढ़ि है!