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कविता

भारतीय सेना को समर्पित दोहे।
भारत माँ के लाल है,कर्मवीर बलवान।
घुटने कभी न टेकना,चाहे जाए जान।।1

सरहद पर इस देश की,खड़े हो सिना तान।
तेरी शौर्यगाथा सुनूं, होता है अभिमान।।2

गर्मी सर्दी मेह हो,रहना शिखर समान।
तेरे हाथों में बसी,भारतीय की जान।।3

चाँद थके सूरज थके,थके न मेरा लाल।
तुझसे ही ऊंचा रहा,भारत माँ का भाल।4

खाना पीना छोड़ के,सदा निभाना फर्ज।
तेरे रक्त की बूंद का,कैसे चुकाए कर्ज।5

दुश्मन हो चालाक तो,बदलो अपना रंग।
सोच सके नाही कभी,हमको करना तंग।6

गोद रखे माँ भारती,है सर पर सँग गगन।
फौजी जैसे पुष्प से,महके मेरा चमन।7

हाथों में हथियार हो,हो आंखों में आग।
दुश्मन संधि का सदा,गाता रहता राग।8

माटी रेगिस्तान की,कहती हैं क्या बात।
हूँ कण माना रेत का,दे सकती हूँ मात।9

सैनिक बनने से बड़ा,क्या बनता इंसान।
सिने में ह्रदय रखे,आंखों में तूफान।

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