उस किनारे ?
कौन है ?
बार बार ज़िद करता है क्यों ?
ए दिल ?
इतना तड़पता है क्यों ?
उस किनारे ?
देखता रहेता है क्यों ?
वहां भी ऐसा
कुछ नहीं है,
यहां भी ऐसा
कुछ नही है,
जो कुछ है
वो भीतर है,
जहां कभी तु
देखता तक नहीं है,
पहचान आखरी
करले अपनी,
बाकी सब तो
बस है दिखावा,
आखिरी सफर
हमेशा तन्हा,
ना कोई साथी
ना कोई सहारा,
वो किनारा
सही किनारा,
बाकी सब तो
एक छलावा।