अभिलाषा
"अभिलाषा"
शब्द सहेजकर मन पटलपर
भाव कर लूं नयनो में अंकित
अंतरंग की उत्कंठा ओढ़े
अंग अंग हो जाये पुलकित
थके हारे मन की लता पर
खिल जाए चम्पा सुगंधित
कांटो के जंजाल मे पथ खोज
अन्तःशक्ति हो संचारित
खाली पन के गहन तिमिर में
एहसासों के रिश्ते हो प्रज्वलित
रूठे हुए सुरों की सरगम
पुनः सुमधुर हो जाये स्पंदित
पीड़ा संकट कष्टों का स्वाद चख
अंजुरी में यश कर लूं संचित
सितारों की शीतल बरसात में तर
तन मन डोले होकर हर्षित
-कीर्ति अग्रवाल
