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मैं लौट आया हूँ



ख्वाबों का काफिला पीछे छोड़ आया हूँ ।

मैं खुद को साबित करने आया हूँ ।

हाँ मैने गलतियाँ हजार की है 

मैं सबक उनसे लेकर आया हूँ ।


उम्मीद लिए घर बैठे हैं सपने ,अपनों के ;

मैं उन्हीं सपनो को आकार देने आया हूँ ।

बदलती दुनिया में, बदलते लोगों में ,

मैं चिरकाल तक ठहरने आया हूँ ।


तुम्हें खबर तो होगी न मेरी "राधे";

मैं खबर,अखबारों की बनने आया हूँ ।

हाँ मुझे निकम्मा कहा था तुमने ही ,

मैं मिटाने वो कलंक आया हूँ ।


मुझे राह का कंटक समझने वाले,

मैं तेरी राह में फिर भी फूल बिछाने आया हूँ ।

कि क्या खबर ? तुम कौन हो ?

मिलने मैं तुमसे आखिरी बार आया हूँ ।


जो कही खो गया था शहर की भीड़ में ,

मैं संग उसे ले अपने साथ आया हूँ ।

इंतजार कर रहे हैं गाँव में मेरे अपने ,

मैं आखिर घर अपने लौट आया हूँ ।


टीकम नागर "राधे"

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