तुम कही तो मिलो तुम कभी तो मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
तुमसे मिलने की हसरत बहुत है मगर
ख्वाब में ही क्यूँ आते हो मुझको नजर
इन नजरो से कभी एक नजर तो मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
आँखों के सपने अब जो सयाने हुए
रेन में दिन में सिर्फ तुम्हारे हुए
तुम भी तो कभी हो हमारे मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
पल में अपने ,पल में पराये लगे
तुम भी मौसम के जैसे बदलने लगे
तुम कभी तो ठहर, मेरे मीत मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
प्रेम का समंदर गहरा होने लगा
तडपन पीर उदासी का घर होने लगा
तुम भी तो कभी आ मेरे घर मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
तुमसे दूर न मुझसे रहा जायेगा
बिन तुम्हारे ये राधे मर जायेगा
तुम बनकर के अब मेरी जान मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
नाता तुमसे मेरा कुछ ऐसा हुआ
जैसे सिया से राम का मिलना हुआ
तुम भी बनकर राम से सिया मिलो
तुम कही तो मिलो
तुम कभी तो मिलो
टीकम नागर "राधे"
