इस बार होली में
शीर्षक -इस बार होली में
खत्म हो हर गिले-शिकवे
सनम इस बार होली में
मनाना है मुझे भी प्यार
से त्योहार होली में ।
मेरे हाथों में पिचकारी
तू रंग गुलाल ले लेना
चढ़ाना प्यार वाली रंग
व्यथा मन की मिटा देना।
गुलाबी रंग से गालों को
अपने रंग जाने दो
छुपी दिल की मोहब्बत को
तू कर इजहार होली में ।
यह रंगों की हवाएं हर जगह
जाती नहीं प्यारे
हवा का रुख तुम्हारे ओर
है इस बार होली में।
तरसेगी निगाहे कब तलक
प्रीतम से मिलने को
बची है आरजू इतनी
करूं दीदार होली में।
स्वरचित -पूजा भूषण झा ,वैशाली बिहार।
