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शरीर

हर घर (शरीर)कुछ कहता हे

हर घर का अपना एक किस्सा हे,

अंदर कुछ तो बाहर कुछ रहता हे

यहाँ हर घर कुछ कहता हे.......

दुःख और सुख का यहाँ अद्भुत मेला हे

अंदर दुःख और बाहर सुखो का बसेरा हे

यहाँ हर घर.......

सुनो तो हर खामोशियों के पीछे शोर छुपता हे,

देखो तो हर दरवाजो(पंचेंद्रि)के पीछे दर्द बसता है

यहाँ हर घर कुछ.........

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