सब्र कर
सब्र कर तेरा इंतिहान
अभी बाकी है।
तो कदम ही तो चला
अभी तो सारा जहां बाकी है ।
जीत का ना हार का
युद्ध बस संस्कार का ।।
नफरत का ना चालाकी का
निशा छूटता बस प्यार का।
हौसलों से उड़ान भर
खुद्दारी को जिंदा रख।
टूटना नहीं बढ़ता चल
जब तक खून का एक कतरा बाकी है।
सब्र कर तेरा इंतिहान
अभी बाकी है।
है परिंदा बाज तू
ना डर मौत के मंजर से ।
उड अनंत क्षितिज में
मारे तुझे औकात क्या किसी खंजर मे।
ले दृढ़ संकल्प कर्मठ बन
हिम्मत रख उगेगे बीज इस बंजर में।
तेरी औकात बताने वाले
अपनी औकात में रहना सीख लेंगे।
जब शोहरत कदम चूमेगी आसमां
तो चमक में आंखें बीच लेंगे।
सिसक सिसक कर जीने में
यह जिंदगी की खिसक जाति है।
जो सपने देखते
आसमा मैं उड़ने के ।
उन्हें जमीन पर
नींद कहां आती है ।
