ग़ज़ल
ग़ज़ल
वज़्न-221 2121 1221 212
दुनिया में मेरा ख़ूब तमाशा किया गया
मेरे ही दिल को लूट के सौदा किया गया
वे दूर जाके हमको तो बस भूल ही गये
जिन दोस्तों से साथ का वादा किया गया
सच बोलता हूँ फ़िर भी ये रहते ख़फा ख़फा,
महफ़िल में बार बार है रुसवा किया गया।
देते हैं लोग ताने यहाँ मज़हबी बहुत
हर वक्त मेरी जाति को छोटा किया गया
ऐ *मौज* क्या हुआ है ज़माने को आजकल
हर काम जैसे तैसे ही पूरा किया गया
डी.पी.लहरे"मौज"
कवर्धा छत्तीसगढ़
