मुबारक हो
ख्वाबों म़े आ परी बन जाती,
ममता देती माँ बन जाती
दर्द बाँटती दोस्त कहलाती
फर्ज निभाती, हक जताती,
कुआँ खोदती, पानी पिलाती,
आँसमान के सपने सजाती
वर्दी पहन, कानून समझाती
तालीम लेकर हुनर बाँटती
झाड़ू उठा कर स्वच्छता बाँटती,
फर्ज निभाती, हक जताती,
कामयाबी का जश्न मनाती
रंजों गम में भी मुस्कराती
कोई दिन नहीं कोई साल नहीं,
इन्हें हर लम्हां मुबारक हो,
नारी शक्ति को उनका
अपना वजूद मुबारक हो।
ललिता विम्मी
भिवानी(हरियाणा)
