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होली

ताटंक छन्द होली

आय हवय जी फागुन महिना,खुशी मनालव होली मा।

रंग मया के सबला डारव,मधुरस घोरव बोली मा।।1


मीत बनालव सबला भइया,जीयव जिनगी ला सादा।

उधम मचावव झन कोनों जी,राखव सबके मरजादा।।2


नशा भाँग के चस्का छोड़व,होली पावन बेला मा।

दया मया ला बाँटे सीखव,ये दुनिया के मेला मा।।3


चिखला माटी के झन खेलव,कभू तुमन ये होली जी।

भाई चारा बाढ़त राहय,अइसन बोलव बोली जी।।4


बचत करव पानी के भइया, लकड़ी ला झन बारौ जी।

सुमता ले सब परब मनावव, कुमता के मुँह टारौ जी।।5


पाँव परव गा सबो बड़े के,टीका माथ लगावौ जी।

गाँव गली मा बजे नँगारा,मिलके धूम मचावौ जी।।6


भेद भाव ला सबो भुलाके,सब ला गले लगावौ जी।

फाग मया के मिलके गावव,होली बने मनावौ जी।।7


झन छेदव अंतस ला कखरो,महुरा जइसन बोली मा।

बन जव भइया सब झन हितवा, ये आँसो के होली मा।।8


डी.पी.लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़

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