अपन भाखा के मान
सुनो जी संगी सुन मितान
भाई बहिनी सखा सुजान
जुल मिल सब गा देवव ध्यान
हमर गोठ के बाढे ज्ञान
गोठ नो हरे सच मा छोठ
पढ़बो लिखबो बनही रोठ
करबो जब हम गुरतुर गोठ
हो ही तब तो बोली पोठ
भाखा हमर राज आधार
मधुरस कस हे गोठ विचार
दया मया हावे भरमार
गुरतुर बोली भाखा सार
राखव भाखा के अब मान
छत्तीसगढ़ी के सम्मान
सुग्घर रहय हमर पहिचान
महतारी के बाढ़े शान
दुख बढ़ भारी लागे आज
भाखा दुसर करत हे राज
पढ़ें लिखे नइ आवय बाज
करे अपन बोली बर लाज
बड़े बड़े जे देथे राय
बोली भाखा ला नइ भाय
छत्तीसगढ़ी बर सरमाय
अइसन मनखे पापी आय
चन्द्रहास पटेल चंदू चंचल
अकलाडोंगरी (धमतरी) छग
