रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

दोहे छंद

सावन


रिमझिम वर्षाकाल है,चले सर्द पवमान।
मिटती ऊष्मा ग्रीष्म की, बोता किसान धान।

आया सावन झूम के,लाये साथ बयार।
हर्षित किसान हो रहे,देख प्रकृति अवतार।।

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु