दोहे छंद
सावन
रिमझिम वर्षाकाल है,चले सर्द पवमान।
मिटती ऊष्मा ग्रीष्म की, बोता किसान धान।
आया सावन झूम के,लाये साथ बयार।
हर्षित किसान हो रहे,देख प्रकृति अवतार।।
सावन
रिमझिम वर्षाकाल है,चले सर्द पवमान।
मिटती ऊष्मा ग्रीष्म की, बोता किसान धान।
आया सावन झूम के,लाये साथ बयार।
हर्षित किसान हो रहे,देख प्रकृति अवतार।।