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विरहिन की मनोदशा


 तरणिजा छन्द
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विहरिणी नायिका की मनोदशा 

कनक-सी।
चमक थी।।
जलद -से‌
सजल थे।।१।।

नयन ये।
विकल थे।।
लगन थी।
मिलन भी।।२।।

मधुर है।
ॳॅंगन है।।
तड़प है।
विरह है।।३।।

भवन में।
नयन में।।
प्रियम हो
झलक दो।।४।।

पवन भी।
मचल ती।।
चपल -सी।
उलझती।।५।।

खनक है।
महक है।।
चुभन है।
छुअन है ६।।

दहकती।
महकती
मचलती।
सॅंभलती।।७।।

प्रिय जहाॅं।
उर वहाॅं।।
सुख वहीं।
दुख नहीं।८।।

अनुजा मिश्रा 'सुहासिनी'
उन्नाव,उत्तर प्रदेश।

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