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संघर्ष

विधा - दोहा

सृजन शब्द -- संघर्ष 


जीवन है संघर्षमय, मात पिता का देख।

अपने बच्चों के लिए, तोड़ें सारी रेख ।।(१)


हर पल ही संघर्ष कर,  जीवन जाता बीत ।

कोख मात की छूटती, यही बनी है रीत ।।(२)


कविता झा'काव्य'

रांची, झारखंड

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