ख्वाबो का तस्वीर
हिन्दी उर्दू अदब की एक नवोदित कवयित्री हूँ शबाना परवीन कविता के खूबसूरत अहसासो मे एक औरत की ख्वाबों की ताबीर किस तर वो दुनिया और समाज के बीच मे परिवार मे खुद के ख्वाहिशों को दफन करती है ख्वाबों की अपनी एक अलग दुनिया बना लेती है ऐसा नही की वो समाज मे एक बेहतरीन किरदार पेश करने मे नाकामयाब
हो औरत तो ख्वाहिशों का पुलिदा है दोस्तो, पिंजरे मे बन्द जैसे परिदा है दोस्तों, आजाद इसको एक दिन होना है कैद से ,अब तक इसी उम्मीद मे जिन्दा है दोस्तों मै एक समाजसेवीका,और टीचर हूँ समाज के नीचे वर्क से जुड़
होने के कारण उनके दर्द को महसूस कर पाती हू और उसे कविता मे लिखने की कोशिश करती हू मेरी पहली काव्य संग्रह कशमकश मे जिंदगी है और साझा काव्य संग्रह सप्तसमिधा और भी कयी साझा काव्य मे सम्मिलित हूँ
मेरी दूसरी काव्य संग्रह ख्वाबों की तस्वीर 151कविताए
का संगम है जिंदगी दुविधाजनक स्थित दर्द, टीस,पीड़,
नारी की जिंदगी की बानगी स्वरूप चंद शब्द है
