गणेश वन्दना
???????????? श्री गणेशाय नमः ????????????
जयति जयति जय गणपति देवा।
करना चाहूॅं प्रभु पद सेवा।।
दुविधा एक सुनो हे! स्वामी।
तुम जानो हे! अन्तर्यामी।।१।।
मैं हूॅं अधम मंदमति भारी।
सकल जगत की विपदा मारी।।
प्रभु जो कृपा तुम्हारी पाऊॅं।
शीश झुकाकर तुम्हें मनाऊॅं।।२।।
कैथा जामुन मोदक खाते।
हरी दूब से मन भर जाते।।
गिरिजा सुत हो तुम उपकारी।
मूषक वाहन के असवारी।।३।।
प्रथम पूज्य तुम ही हो भ्राता।
भक्त जनों के हो सुखदाता।।
मूरत तेरी अतिशय प्यारी।
कर्ण सूप सम चौभुज धारी।।४।।
सुनते अधिक गुनें मन माहीं।
जहाॅं पुकारे प्रकटें ताहीं।।
हे !गजमुख गणनायक देवा।
निर्मल मति देती तुम सेवा।।५।।
विघ्न हरण प्रभु हो वरदायक।
पुत्र आपके सबविधि लायक।।
ऋद्धि -सिद्धि के साथ विराजो।
मेरे गृह में आकर साजो।।६।।
सकल सृष्टि में तुम्हीं निराले।
सब विघ्नों को हरने वाले ।।
सकल गणों के अतिशय प्यारे।
मात-पिता के तुम्हीं दुलारे।।७।।
माया सारी तत्क्षण मारे।
जब गणेश का नाम पुकारे।।
धर्म ध्वजा के तुम रखवाले।
निर्धन को धन देने वाले।।८।।
बाल रूप अतिशय प्रिय लागे।
विपदा सारी तत्क्षण भागे।।
सिन्दुर पुष्प करूॅं मैं अर्पित।
मिली चरण रज मन है गर्वित।।९।।
दल दुष्टों का मुझे सतावे।
हरि- पूजा न खलों को भावे।।
दूर करो प्रभु सकल निराशा।
जीवन में भर दो नव आशा।।१०।।
©अनुजा मिश्रा 'सुहासिनी'
उन्नाव उत्तर प्रदेश।✍????