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आत्म दर्शन

सनातन धर्म संदेशका नशा,
बहे गुरूकृपा नस नसमें है,
वैदिक सनातन त्रिमुर्ति संग,
पल पल मिले आनंद शिव हे।

यह आनंद ही वैदिक सत्संग,
खुदके संग खुद परिचय है,
यह परिचय ही आत्मज्ञान दर्शन,
हर जिव शिव खुद भी शिव है।

ब्रह्मा हरी शिव सदा अविनाशी,
त्रिमुर्ति दर्शन हृदयमें है,
यह देह बन जाये खुद मंदिर,
शिव खुद आत्मा ही शिव है।

बकुलेश महेता। (९४२६७८९५६४)

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