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आत्म दर्शन

ना किसीसे बैर हृदयमें,
ना किसीसे प्रित,
हर जिवमें शिव दर्शन पाये,
यही सनातन रीत।

कोई प्रत्ये ना राग द्वेष दिलमें,
चारों वर्ण मन मीत,
वर्ण व्यवस्था अनुशासन पालन,
हर धर्मकी है रीत।

कोई नहीं ऊँच नीच यह जगमें,
एक दुजेकी करे सेवा यह रीत,
एक दुजेमें करे शिव दर्शन,
कैसे रहें यह ऊँच नीच?

यही है सच्चा धर्म पालन,
सबकी हो जगमें जित,
सुख समृध्धि फैलेगी जगमें,
हर जिवसे करलो प्रित।

बकुलेश महेता। (9426789564)

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