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जल है तो कल है

जल संरक्षण

जब गर्मियों का मौसम आता है,
धूप का कहर बढ़ता जाता है,

तब प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना,
झरने नदी व हरियाली के निकट रहना
मन को सुकून दे जाता है,
जब गर्मियों का मौसम आता है.....

गर्मी पल में छू मंत्तर हो जाती है,
झरने नदी की आवाज भाती है,
पर जब जलस्त्रोत सूखने लगते हैं,
सारा जगत पानी पानी करता है,
जब गर्मियों का मौसम आता है....

जल की महत्ता सब जानते हैं,
जल अमृत है यह पहचानते हैं,
नदियों को पूजनीय मानते हैं,
नदियों को माता कहा जाता है,
जब गर्मियों का मौसम आता है....

कुछ लोग जल को दूषित करते हैं,
जल स्त्रोत में कूड़ा कचरा डालते हैं,
नदियों के पास गंदगी फैलाते हैं,
नदियों में निर्माल्य बहाया जाता है,
जब गर्मियों का मौसम आता है......

जल ही जीवन है
यह कविता स्वरचित है

जयश्री गोविंद बेलापुरकर,
हरदा

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