तेरी याद आने पर
तेरी याद आते ही अश्क़,निकलने लगते हैं,
धड़कने रुकने लगती हैं,हम जलने लगते हैं।
टूटने सा लगता है हमारा सारा तन,बदन,
ग़म उभरने लगते हैं,हम ठहरने लगते हैं।
एक-एक पल इस क़दर तरसता हैं हमको,
नींदें जाने लगती हैं,हम तड़पने लगते हैं।
किसको कहें किस हाल में हैं हम इनदिनों,
लोग हँसने लगते हैं,हम सुबकने लगते हैं।
लिए चली आती है हर शाम भारी तन्हाई,
रूह काँपने लगती है,हम मरने लगते हैं।
Rk शायर
