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Swami Vivekanand

 

         " एक युवा सन्यासी : स्वामी विवेकानन्द "



एक युवा सन्यासी ने जब, सदियों में धरा पर जन्म लिया,

विवेकानन्द नाम मिला, सर्वोच्च सन्यासी वो था कहलाया,,


भारतीय  संस्कृति की  विश्व में, पताका  उन्होंने यूँ लहराई,

देशप्रेम संग नि:स्वार्थ सेवा की भावना, मन में थी गहराई,,


मन,बुद्धि विकसित हों, शिक्षा के आधारभूत सिद्धांत रचे,

नारी शिक्षा पर भी बल दिया, व्यवहारिक तब हम तो बनें,,


शक्ति जीवन है, मृत्यु है बस  दुर्बलता, समझा हमें वो गए,

विस्तार जीवन है, मृत्यु तो है  संकुचन, सिखा हमें वो गए,,


स्वयं पर सदा विश्वास कर, निर्बलता का तुम त्याग करो,

चिंता नहीं चिंतन करो, नव विचारों का नित आयाम रचो,, 


युवाओं को निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे वो गए,

प्रेम, एकता, भक्ति औ' इंसानियत का पाठ पढ़ा वो गए,,


'राष्ट्रीय युवा दिवस' पर आओ, मिलकर उन्हें नमन करें,

एक सशक्त  भारत का, विश्वपटल पर हम  निर्माण करें।



-स्वरचित एवं मौलिक रचना 

  पूजा सूद डोगर 

   शिमला

    हि. प्र.

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