श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा
प्राण-प्रतिष्ठा का शुभ है पर्व,
हर हृदय में जग रहा गर्व।
भक्ति की धारा बहे सदा,
राम का नाम रहे सर्वदा।
मूर्ति में जब श्रीराम आए,
सुख-शांति के दीप जलाए।
दुख की छाया पल में हरी,
हर दिशा में खुशबू भरी।
जहां बसे श्रीराम का धाम,
वहीं सजे सत्य और प्रेम का नाम।
सिया संग जो रघुवर पधारे,
भक्ति के सागर लहरें मारे।
भक्तों की अरज सुने रघुवर,
दया का सागर, करूणा का घर।
हर संताप पल में हर जाते,
अपनी कृपा से कष्ट मिटाते।
जयघोष से गूंजे धरती-आकाश,
हर मन में जगे श्रीराम का विश्वास।
पावन हो हर सोच, हर विचार,
जहां श्रीराम की होती जय-जय कार।
रघुवर का आशीष सदा यूंही मिले,
हर दिल में श्रीराम का दीप हमेशा खिले।
भक्ति की ज्योति रहे अविराम,
हर दिशा गाए श्रीराम का नाम।
श्रीराम की महिमा अपरंपार,
खुशहाली से भरें सबके द्वार।
सदा करें हम श्रीराम का वंदन,
हर सांस गाए श्रीराम का अभिनंदन।
उनकी कृपा से मिटे अंधियारा,
हर हृदय बने सत्य का सहारा।
राम नाम ही जीवन आधार,
रघुकुल नायक के चरणों का प्यार।
इंजी. शेर बहादुर
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