रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

सफर दर सफर

परंपरागत संस्मरण विधा से इतर
-------
पुस्तक का नाम : सफर दर सफर
रचनाकार : जितेंद्र निर्मोही
---------------------

"सफर दर सफर" को संस्मरण विधा की पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक जितेंद्र निर्मोही ने इसे परंपरागत संस्मरण विधा से इतर अपने विगत समय और संबंधों के स्मरण का उल्लेख करते हुए इसे अपने और अपने क्षेत्र के लेखन का आत्मकथात्मक इतिहास के रूप में प्रस्तुत किया है। हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में सक्रिय जितेंद्र निर्मोही आयोजनधर्मी रचनाकार के साथ साथी रचनाकारों को प्रेरित प्रोत्साहित करने वाले साथी लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में सात आलेख संकलित हैं। इस पुस्तक के माध्यम से न केवल झालावाड़, कोटा और बारां परिक्षेत्र का साहित्यिक परिवेश, लेखकों के संबंध-संपर्क उजागर होते हैं, वही इसमें जितेंद्र निर्मोही का लेखकीय संघर्ष, उनकी प्रेरणा, सदाशयता और आत्ममुग्घता को भी देख सकते हैं। निर्मोही जी एक लेखक और व्यक्ति के रूप में बेहद कृतज्ञता का भाव व्यक्त करते हुए अपनी बात, साहित्य यात्रा के संस्मरण को विस्तार से इस पुस्तक में अपनी कहानी जैसे कहते हैं। यह पुस्तक उनकी साहित्यिक यात्रा को जानने समझने का एक जरिया हो सकती है, वहीं इस पुस्तक के माध्यम से हम हाड़ौती संभाग में हुए विविध कार्य और विशेषताओं के साथ ऐतिहासिक झलक भी एक दस्तावेज के रूप में पहली बार देखते है। निर्लिप्त और निर्दोष भाव से लेखक का अपनी बात कहना प्रभावित करता है।
ज्ञातव्य है कि जितेन्द्र निर्मोही को संस्मरण साहित्य की कृति "उजाले अपनी यादों" के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का डा. कन्हैयालाल सहल पुरस्कार मिल चुका है। "सफर दर सफर" पुस्तक को जन चेतना प्रकाशन कोटा ने प्रकाशित किया है।

० डॉ. नीरज दइया

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु