आइडियल
"संजीव बहुत अच्छा लड़का है नेहा... और सबसे बड़ी बात है कि वह तुम्हारे मम्मी पापा को बहुत पसंद है.... मैंने भी सारी डिटेल निकाली है.... संजीव में कोई कमी नहीं... अच्छा खासा जमा-जमाया बिजनेस है.... करोड़ों की संपत्ति है.... फिर मेरी समझ में नहीं आ रहा कि तुम इस रिश्ते से इंकार क्यों कर रही हो??", नीलिमा ने नेहा से पूछा।
" भाभी, आप इतना मजेदार पकौड़ियां कैसे बना लेती है?? सच कहूं तो पकौड़े के साथ-साथ.... आपकी उंगलियां चाटने का भी दिल कर जाता है.... " नेहा ने नीलिमा की बातों को दरकिनार करते हुए कहा।
" क्या मतलब है तुम्हारा??"नीलिमा ने आश्चर्य से पूछा। नेहा नीलिमा की फुफेरी ननद थी... जो कि छुट्टियों में उसके पास रहने आई थी। नीलिमा और नेहा इस समय रसोई घर में पकौड़ियां बना रही थी। जहां नीलिमा नेहा से इस सीरियस टॉपिक पर बात करना चाह रही थी... वही नेहा इससे बचना चाह रही थी।
"अरे भाभी!! आपने जो लास्ट टाइम जो मुझे इसकी रेसिपी लिख कर दी थी ना... मैंने घर जाकर सेम टू सेम बनाने की कोशिश की थी.... लेकिन फिर भी इतनी अच्छी नहीं बना पाई.... आपके हाथों में तो जादू है जादू..... हर मसाले की मात्रा बिल्कुल सही होती है...." नेहा ने बर्तन में निकाल कर प्लेट में पकौड़े रखते हुए कहा।
"नेहा...."अपनी बात को नजरअंदाज होते हुए देखकर नीलिमा ने आंखें दिखाई। जवाब में नेहा ने मुस्कुराते हुए दांत दिखा दिए।
"नेहा .... मैं अच्छी तरह से समझ रही हूं कि तुम मेरी बात को टाल रही हो....." नीलिमा ने झूठी नाराजगी से नेहा को देखते हुए कहा।
"ओहो भाभी!!! छोड़िए ना ...इस बोरिंग टॉपिक को.... हमारे पास बात करने के लिए और भी बहुत सारे टॉपिक है.... मैं इसलिए तो आपके पास नहीं आई कि आप भी मम्मी की तरह एक टॉपिक लेकर मेरा पीछा करने लगो। जिसको देखो उसी को.... शादी.... शादी... शादी... जैसे शादी ना हुई... आईएएस का एग्जाम हो गया... किसी हाल में इसे क्रैक करना ही है.... कुछ दिन तो आराम से जीने दीजिए ना.... आइए... आपने पकौड़ियां बनाई है ....मैं चाय बना लेती हूं....फिर हम दोनों एक अच्छी सी रोमेंटिक मूवी देखते हैं।"नेहा ने मुंह बनाकर अपना सिर पीटते हुए.... इस अंदाज में अपनी बात कही कि ना चाहते हुए भी नीलिमा को उसके अंदाज पर हंसी आ गई।
"रोमेंटिक मूवी में भी तो यही कुछ होता है ना नेहा?? एक हीरो... एक हीरोइन...और फिल्म के एंड में उनकी शादी.... पर शादी तो होती ही हैं।" नीलिमा ने समझाने वाले अंदाज में कहा। नेहा उसकी बात समझ भी रही थी। नेहा को अपनी बात समझते हुए देखकर नीलिमा ने पूछा," तो फिर तुम बताओ.... शादी से क्यों इंकार कर रही हो??"
"नहीं भाभी मैं शादी से इंकार नहीं कर रही.... पर आप जिन फिल्मों की बात कर रही हैं ना.... वह 90 के दशक में बनती थी।" नीलिमा के गले के आसपास अपनी बाजू लपेटते हुए नेहा ने कहा।
"आज जमाना बदल गया है और उस हिसाब से सबकी पसंद भी बदल गई है ....इन फैक्ट आज की रोमांटिक मूवीस में भी ऐसा होता है.... पर भाभी मान लीजिए... शादी करनी है ....और वो भी अरेंज मैरिज करनी है..... तो भी कम से कम जिस से शादी करनी है.... वह तो हमारी पसंद का होना चाहिए ना?? कुछ हीरो जैसा दिखना भी चाहिए ना? फिल्म के हीरो की तरह ना दिखे.... तो कम से कम टीवी सीरियल के हीरो की तरह तो दिखना ही चाहिए। डैशिंग पर्सनालिटी.... 6 फीट से ऊपर हाइट... कुछ डोले शोले.... अगर ऐसा कोई मिले तो कुछ सोचा भी जा सकता है ... मतलब कि मेरा आइडियल कुछ ऐसा है। पर आपने देखी है संजीव की पिक्चर... कैसा लगता है?? वह बिल्कुल सिंपल सा लड़का है..... क्या वह मेरे साथ मैच कर पाएगा?? क्या मैं उसके साथ रह पाऊंगी??" नेहा ने कुछ रुकते.... कुछ अटकते...कुछ सोचते हुए नीलिमा से पूछा।
"यानी कि हमारी ननद रानी के दिमाग पर इन फिल्मों के हीरो और खासकर टीवी सीरियल्स के हीरो ने कब्ज़ा कर रखा है……. पर फिर भी…... बात जितनी छोटी दिख रही है.... उतनी छोटी है नहीं... नेहा अपनी बेवकूफी से सब कुछ बर्बाद करे....उससे पहले मुझे कुछ करना होगा।" नीलिमा मन में सोच रही थी। सामने से वह बस एक ठंडी सांस लेकर रह गई.... पर नेहा के इस आइडियलिज्म वाली बात ने.... उसे काफी पीछे धकेल दिया था।
आइडियलिज्म यानी कि आइडियल का चक्कर।
भले ही नेहा ने कहा कि आज जमाना बदल गया है तो लड़कियों की पसंद नापसंद और सोच बदल गई है..... पर नीलिमा को तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा था.... ये परेशानी आज की नहीं.... बल्कि बहुत पहले से ही है..... बस यही बात है कि 60 के दशक में दिलीप कुमार पसंद आते थे.... तो 80 के दशक में अमिताभ बच्चन.... तो नब्बे के दशक में लड़कियों के दिल और दिमाग पर.... सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान ने अपना कब्जा जमाया था और आज लड़कियां टाइगर श्रॉफ और वरुण धवन को पसंद करती हैं..…समय के अनुसार भले ही फैशन बदला.... लड़कियों को भले ही साड़ी की जगह शॉर्ट्स पहनना पसंद आ रहा हो.... लेकिन इस आइडियलिज्म में तो कोई बदलाव नहीं आया।
बस इतना ही बदलाव आया है कि पहले ये प्रॉब्लम कुछ गिने-चुने परिवारों तक ही सीमित थी ....
ऐसे परिवार जहां पर शादी ब्याह का फैसला लेते वक्त लड़कियों की राय को अहमियत दी जाती थी.... वहां मां बाप को इस तरह के आइडियलिज्म के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था।
पर आज इसने लगभग हर घर में अपना डेरा जमा लिया है।
