अरमान
यशोदा आज बिल्कुल टूट चुकी थी !
पिछले अठारह सालों से इस उम्मीद पर ही तो जी रही थी कि , नंदू उसके सारे अरमान पूरे करेगा , लेकिन ! लेकिन हुआ क्या ?????
जब वह आठ महीने की गर्भवती थी तभी उस पर कयामत टूटी थी , वह अपनी पति सौरभ का इंतजार कर रही थी आज उसने सौरभ की पसंद के काले चने की सुखी सब्जी बनाई थी और साथ में सूजी का हलवा ! काले चने और हलवा सौरभ की कमजोरी थे , जब भी मैं फरमाइश पूछती झट से कहते ' आज तो हलवा चने बना लो ' लेकिन वो इंतजार इंतजार ही रहा , बस खबर ही आई थी कि, इंजीनियरिंग साहब दुर्घटनाग्रस्त होकर अपनी जान गंवा बैठे , उसे कुछ भी होश नहीं था क्या करें क्या ना करें ? बारहवीं संपन्न होते ही सारे नाते रिश्तेदार अपने अपने घर चले गये , रह गयी केवल तीन चीजें सन्नाटा, सौरभ की याद और मैं !!!!!
दो महीने बाद नंदू की पहली किलकारी से सन्नाटा टूटा और उसे होश आया , और उसने सबकुछ भूलकर केवल नंदू की परवरिश और उसकी पढ़ाई लिखाई में खुद को झोंक दिया, नंदू बहुत होशियार था पढ़ाई में , देखते-देखते वह " ग्रेजुएट " हो गया और यूपीएससी की तैयारी करने लगा , अठारह अठारह घंटे पढ़ता रहता उसके पीछे मैं जागती रहती कि क्या मालूम उसे चाय की जरूरत पड़ जाए , पानी की जरूरत पड़ जाए , लेकिन वह लगातार किताबों में ही घुसा रहता, बहुत मिन्नतें करने पर खाना पीना करता, उसके पेपर बहुत अच्छे हुए , अब उसे परिणाम का इंतजार था, और वो शुभ घड़ी भी आ गई जब उसका नतीजा आया , मेरा नंदू जिलाध्यक्ष बन गया, नंदकिशोर कोठारी जिलाध्यक्ष नाम की प्लेट जब दरवाजे पर लगी देखी तो निहाल हो गई मैं तो और मन ही मन सोचने लगी अब मैं अपने सारे अरमान पूरे करुंगी , मोटर में बेठू़गी , शहर जाउंगी , छककर मिठाई खाऊंगी जो मेरी कमजोरी है, बड़े मकान में रहुंगी, नौकरों पर हुक्म चलाऊंगी आदि आदि!!!!!
चार दिन बाद नंदू आया , आते ही प्रणाम किया मैंने उसे गले लगाना चाहा , ये क्या,? पिछे नजर पड़ी तो एक अत्याधुनिक लड़की खड़ी थी !
अरे ऩदू ! ये छोकरी कोन है बेटा ? मेरे इतना पूछते ही नंदू से पहले लड़की बोली " एन के , ये बुढ़िया कोन है ? और मुझे छोकरी कहा इसने , अरे डार्लिंग ये मेरी दूर की चाची है "
इतना सुनते ही मैं तो जड़ हो गई, न ही मेरा मुंह खुला और ना पग हिले , मैं तो वहीं काठ की मूर्त बनी खड़ी रह गई, मेरे सारे अरमानों पर बिजली गिर पड़ी , और मेरी " उम्मीद " कि मेरा बेटा अफसर बनते ही मेरे सारे अरमान पूरे करेगा धरी की धरी रह गई , और एक बार फिर से मेरे जीवन में " सन्नाटा " छा गया !!!!!!!!!
