वहम
आज फिर मुझे ही दोषी ठहराया गया , हालांकि बेटे ने कुछ भी नहीं कहा , लेकिन चोरंगी ने कोई कसर नहीं छोड़ी , मेने केवल बेटे से यही कहा था कि मैं कहीं नोकरी करना चाहता हूं या कोई अपना काम धंधा कर लूं , बेटा हां या ना जवाब देता उससे पहले तो चोरंगी ने मुझे बैभाव की सुना दी !
" अच्छा !!! तो अब आप नौकरी करेंगे , अपना काम धंधा करेंगे , वाह ! क्या कहने , अरे आजतक कुछ किया है आपने ? केवल घर का पैसा फूंकने के अलावा, रहने दिजीए आराम से घर बैठे रहिए "
और अंगारे बरसाती दृष्टि मुझ पर डालते बाहर निकल गई !
पचपन साल की उम्र हो गयी है मेरी आज , और आज फिर से में "बेरोजगार " हो गया हूं , छः महीने पहले लड़के की शादी कर दी , लड़का अच्छा कमा रहा है मेरा , उसका व्यापार अच्छा चल रहा है , आज्ञाकारी बेटा है मेरा , बहुत इज्जत करता है मेरी ,
लेकिन चोरंगी मेरी बीवी अपने नाम के विपरीत है चार रंग नहीं केवल एक ही रंग है !
मेरे लिए अथाह नफरत , दोनों बच्चों के मन में भी नफरत ही भरने की कोशिश की मेरे लिए लेकिन मेरे बच्चे इस मामले में अपनी मां के उपर नहीं गये , मुझसे बहुत प्यार करते हैं और बहुत इज्जत करते हैं , मेरी बुरी किस्मत कहें या अनुभवहीनता में आजतक किसी भी व्यापार में सफल नहीं हुआ !
बीस साल का था जब बड़े भाई ने मेरी शादी चोरंगी से करवा के अपने फर्ज की इतिश्री कर ली थी , वो दिन और आज का दिन उसने कभी मेरी सुध नहीं ली , पुश्तैनी जमीन की पैदावार आ जाती थी जिससे गुजारा हो जाता था और कुछ में नौकरी से कमा लेता था , में जब भी कोई व्यापार करने की योजना बनाता चोरंगी झट से उसमें मीन-मेख निकाल देती लेकिन फिर भी में वो व्यापार शुरू कर लेता लेकिन हाय री मेरी खोटी किस्मत कुछ दिन काम ठीक चलता लेकिन फिर सबकुछ खत्म , और चोरंगी फिर मुझपर चढ़ दौड़ती और जबरदस्त तरीके से खरी-खोटी सुनाने लगती और मैं सर झुकाए सुनता रहता !
बस इसी तरह रेंगते रेंगते पचपन बरस गुजार दिये मेने इसी " वहम " में कि मेरी किस्मत ही " खराब " है
